"Majhab nahi sikhata aapas mein bair rakhna".- Ukti ke aadhar pe ek maulik kahaani likhiye.

हम दो मित्र थे। एक बार की बात है। रास्ते में एक अंकल बेहोश पड़े थे। वेशभूषा से वह पठान लगे। कोई उनकी सहायता करने को तैयार नहीं था। हमने तुरंत पास में रहने वाले डाक्टर अंकल को बुलवाया और उन्हें दिखाया। अंकल ने तुरंत उनका इलाज किया। जल्द उन्हें होश आ गया। उन्होंने हमें बहुत धन्यवाद दिया। परन्तु जब उन्हें इस बात का पता चला कि हम ब्राह्मण परिवार में से एक हैं, तो उन्हें बहुत हैरानी हुई। आखिर हम उनकी सहायता करने को क्यों तैयार हो गए। तब डाक्टर अंकल ने पठान अंकल को कहा कि खाँ साहब कोई धर्म नहीं सिखाता की आपस मैं बैर करना। यह तो मानव द्वारा निर्मित झूठ है, जिसे मानकर लोग आपस में लड़ते हैं। धर्म का कार्य लोगों को बैरभाव, झूठ, बेईमानी से बचाना है। जो हमें यह सिखाए वह धर्म की श्रेणी में नहीं आते हैं।

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