MAM I WANT SUMMARY OF THIS POEM

Hi,
1. राम-सीता और लक्ष्मण चौदह वर्ष का वनवास काटने के लिए अयोध्या नगरी से निकल आए हैं। सीता बड़ा धैर्य धारण कर मार्ग में पैर रख रही हैं। उनके माथे से पसीने की बूंदे चमकने लगी। प्यास के कारण उनके होंठ सूख गए हैं। वह श्रीराम से पूछती हैं कि अब कितना चलना है? हमारी पर्नकुटी कहाँ पर है? सीता जी को इस प्रकार व्याकुल देखकर श्रीराम की आँखों में आँसू आ गए। भाव यह है कि सीता जी कोमल सुकुमारी राजकुमारी थीं। उन्होंने कभी इतना कष्ट नहीं सहा था। राम के १४ वर्ष के वनवास यात्रा में वह उनके साथ निकल पड़ी। उनका सुकुमार शरीर इतना कष्ट नहीं सह पा रहा था।
२. सीता जी राम की दशा देखकर दुखी हो रही हैं। वह राम जी से कहती हैं कि लक्ष्मण जल लेने के लिए गए हैं। इसलिए आप छाँव में खड़े होकर उनका इन्तजार कीजिए। आप अपना पसीना पोंछ लीजिए। गरम रेत पर खड़े होने से आपके पैर जल रहे हैं। अत: आप इन्हें पानी से धो लीजिए। तुलसी जी कहते हैं कि श्रीराम सीता जी की आतुरता को जानकर बैठ गए व पैरों से कांटे निकालने लगे। श्रीराम को सीता ने प्रेम से देखा। सीता के इस तरह देखने पर वर भावुक हो गए और उनकी आँखों से आँसू निकल पड़ें।
 
मैं आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ !

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ma'am

i also wish to write answers/queries in hindi but the font used here is not compatible .how can i write in hindi here?I wud be obliged if  i am enlightened on this(via email).

thanks.

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