manav jeevan ki rah svayam nirmit karta hai par neebandh chahiye
हम आपको इस विषय पर आरंभ करके दे रहे हैं। इसे स्वयं आप विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें इससे आपका अच्छा अभ्यास होगा और आपका लेखन कौशल बढ़ेगा।
इस पृथ्वी में मनुष्य एक ऐसा प्राणी है, जो असंभव को भी संभव करने की क्षमता रखता है। उसके हाथों में ही उसके जीवन की डोर होती है। वह इतना सक्षम है कि उस डोर को जहाँ चाहे वहाँ घुमा सकता है। इस डोर को अपनी इच्छानुसार घुमाने के लिए उसे परिश्रम और दृढ़ संकल्प से काम लेना पड़ता है। उदाहरण के लिए एक विद्यार्थी परीक्षा से पहले दृढ़ संकल्प होकर परिश्रम करता है। परीक्षा परिणाम उसकी मेहनत के अनुरूप ही मिलता है। परन्तु यदि वह पूरे वर्ष शिक्षा को अनदेखा करता है, तो परिणाम खराब ही आएगा। यहीं से पता लगता है कि जीवन की डोर हमारे हाथों में है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम इसे कहाँ लेकर जाएँ। हम स्वयं को ऊँचाइयों तक पहुँचा सकते हैं और हम चाहे, तो गर्त में।