mujhe 'vidyarthi jeevan mein anushasan ka mahatva' par nibhand chahiye.....
नमस्कार मित्र!
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन बहुत आवश्यक है। अनुशासन से युक्त वातावरण बच्चों के विकास के लिए परम आवश्यक है। बच्चों में अनुशासनहीनता उन्हें आलसी, कामचोर और कमज़ोर बना देती है। वे अनुशासन में न रहने के कारण बहुत उद्दंड हो जाते हैं। इससे उनका विकास धीरे होता है। एक बच्चे के लिए यह उचित नहीं है। अनुशासन में रहकर साधारण से साधारण बच्चा भी परिश्रमी, बुद्धिमान और योग्य बन सकता है। समय का मूल्य भी उसे अनुशासन में रहकर समझ में आता है। क्योंकि अनुशासन में रहकर वह समय पर अपने हर कार्य को करना सीखता है। जिसने अपने समय की कद्र की वह जीवन में कभी परास्त नहीं होता है।
आज के भागदौड़ वाले जीवन में माता-पिता के पास बच्चों की देखभाल के लिए प्राप्त समय नहीं है। बच्चे घर में नौकरों या क्रैच में महिलाओं द्वारा संभाले जा रहे हैं। माता-पिता की छत्र-छाया से निकलकर ये बच्चे अनुशासन में रहने के आदि नहीं हैं। विद्यालयों का वातावरण भी अब अनुशासनयुक्त नहीं है। इसका दुष्प्रभाव यह पढ़ रहा है कि बच्चों के अंदर अनुशासनहीनता बढ़ रही है। वह उद्दंड और शैतान हो रहे हैं। दूसरों की अवज्ञा करना उनके लिए आम बात है। परिवार के छोटे होने के कारण भी बच्चों की देखभाल भली प्रकार नहीं हो पा रही है। माता-पिता उनकी हर मांग को पूरा कर रहे हैं।
हमें चाहिए कि बच्चों को प्यार व दुलार के साथ अनुशासन में रखें। बच्चों के साथ सख्ती का रवैया रखना आवश्यक होता है। यदि उन्हें अत्यधिक लाड-प्यार किया जाए तो वह बिगड़ जाते हैं। बच्चों को किसी बड़े के पास ही रखें। अनुशासन के महत्व को समझाएँ।
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढेरों शुभकामनाएँ!