nari sashaktikaran pe 15 pages . it's urgnt.

मित्र हम इस विषय पर आपको एक लेख उपलब्ध करवा सकते हैं। उसे आधार बनाकर आप स्वयं इसे लिखने का प्रयास करें-

आज़ादी से पूर्व स्त्रियों की दशा बहुत दयनीय थी। उन्होंने पर्दे पर रखा जाता था तथा उनको शिक्षा-दीक्षा पाने का अधिकार नहीं था। वह स्वयं के लिए कोई निर्णय नहीं ले सकती थी। विवाह से पूर्व पिता की तथा विवाह के बाद पति उसके निर्णय लेता था। विवाह से पूर्व मायका तथा विवाह के बाद ससुराल की चारदीवारी उनका जीवन थी। परन्तु जैसे-जैसे लोगों ने आज़ादी का अर्थ समझा, वहीं औरतों को भी आज़ादी देने का अधिकारी माना गया। धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार हुआ। शिक्षा ने उनके जीवन को नयी दिशा प्रदान की। अब उनका क्षेत्र घर की चारदीवारी नहीं है अपितु अब वे सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक तौर सदृढ़ होने लगीं हैं। यहीं से महिला सशक्तिकरण का आरंभ होता है। अपने को इन सभी क्षेत्रों में पुरुषों के समान बनाना और अपनी स्थिति को मज़बूत और मज़बूत बनाया है।
क्या महिला सशक्तिकरण पूर्णताः सत्य है या फिर मात्र भ्रम। अगर समाज में देखा जाए, तो यह मात्र किताबी बातें लगता है। आज स्त्रियों की स्थिति में सुधार तो हुआ है। यह मात्र कुछ वर्ग तक ही सीमित है। आज स्त्री अवश्य हर क्षेत्र में अपना स्थान बना चुकी है। परन्तु वहाँ भी उनका शोषण होता आया है। स्त्री होने पर या तो उनका मजाक उड़ाया जाता है या फिर उसके सम्मान को तार-तार करने का प्रयास किया जाता है। समाचार में प्रायः ऐसी घटनाएँ सुर्खियाँ बनी रहती हैं कि आमुक महिला के बॉस ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। तब लगता है कि महिला सशक्तिकरण की बातें हवा ही है। बस यह एक धोखा है।

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