need hindi nibandh  on jab mujhe pehli baar puraskar mila

मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूँ। उन्हें मुझसे बहुत अपेक्षाएँ हैं। लेकिन मैं सफल करने में असफल रहा हूँ। बात तब की  है, जब में पाँचवी कक्षा में दाखिला हुआ था। नया माहौल और नए लोगों के व्यवहार के बारे में सोचकर में परेशान था। जब कक्षा में पहुँचा तो सबको देखकर डर भाग गया। सभी मुझे बहुत प्रेम करने लगे और हम सब बहुत अच्छे दोस्त बन गए। एक बार हमारी कक्षा अध्यापिका अनुपस्थित थीं। हम सब खेल रहे थे। रोहन हमसे बातें कर रहा था। वह आगे ही ओर चल रहा था लेकिन देख पीछे की ओर रहा था। उसने ध्यान नहीं दिया और वह गिर पड़ा। उसके पैर की हड्डी टूट गई। वह रो रहा था। हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैंने तुरंत सबसे स्केल माँगा और रुमाल माँगे। उसके पैर के आसपास स्केल लगाए और रुमाल की सहायता से कस कर बाँध दिए। एक बच्चे को प्रधानाचार्य को सूचित करने के लिए कहा। तब तक हम रोहन को सँभालने लगे। प्रधानाचार्य ने तुरंत उसे अस्पताल पहुँचाया। मेरी इस समझदारी पर मुझे पुरस्कार दिया गया। मैं यह पुरस्कार पाकर बहुत प्रसन्न हुआ। मेरे माता-पिता को मुझे जो उम्मीद थी, मैंने वह पूरी की। मेरे माता-पिता की खुशी देखकर मेरी खुशी ओर बढ़ गई। यह मेरा पहला पुरस्कार था, जिसमें सबको खुशी थी। रोहन के माता-पिता ने मेरी तारीफ ही नहीं कि बल्कि उन्होंने भी मुझे बहुत सुंदर उपहार दिया। यह मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन था।

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jab mujhe pehli baar puraskar se samanit kiya gaya to mein bahut khush hua mere ko apne app par bahut garv hua ki mein  iss puraskar ke kabil hun
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