nibandh in HINDI of nadiyo mae badta pradushan

देश कोई भी हो। परन्तु किसी भी सभ्यता के पनपने के लिए नदियों का होना आवश्यक है। एक नदी मनुष्य के जीवन को सुखमय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नदियों के कारण मनुष्य को उपजाऊ भूमि प्राप्त होती है, जिससे मनुष्य जाति फलती-फूलती है। मनुष्य के दैनिक जीवन में पानी का महत्वपूर्ण स्थान है। उसे पीने से लेकर, नहाने तक में पानी की आवश्कता होती है। पानी के कारण ही वह जीवित है। यह मनुष्य के लिए ही नहीं पूरी में जीव-जन्तु, पेड़-पौधों के लिए आवश्यक तत्व है। इसकी आपूर्ति नदियों से ही होती है। भारत में तो नदियों के इसी गुण के कारण उसे माता की संज्ञा दी गई है। माता जिस तरह के बच्चे का लालन-पालन करती है, नदी भी वैसे ही मनुष्य का लालन-पालन करती है। मनुष्य के मुंडन से लेकर उसकी मृत्यु तक नदी कहीं न कहीं माँ के समान उसके साथ रहती है। परन्तु मनुष्य ने इन नदियों को प्रदूषित कर दिया है। जो कभी यह जीवनदायनी कहलाती थी, आज वह प्रदूषण की मार झेल रही हैं। उनमें शहर का सारा गंद छोड़ दिया जाता है। कारखानों से निकलने वाला जहरीला पदार्थ बहा दिया जाता है। परिणाम नदियों का जल पीने लायक नहीं रहता और वह धीरे- धीरे गंदे नाले में बदलती चली जाती है। यमुना इसका मुख्य उदाहरण है। आज हमने यमुना को इतना गंदा कर दिया है कि वह नाले में बदल चुकी है। लोग उसमें मानव अस्थियाँ, मरे हुए पशुओं को शव इत्यादि छोड़ देते हैं। इस तरह से नदी का स्वरूप भयानक हो रहा है। सरकार तथा स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। हर वर्ष अरबों पैसे इनकी सफाई में पानी की तरह बहाया जा रहा है, परन्तु इसका कोई हल नहीं निकल रहा है। नदियों की स्थिति जैसी की तैसी बनी हुई है। हमें चाहिए कि नदियों के महत्व को समझते हुए इन्हें बचाएँ। वरना एक समय ऐसा आएगा कि मनुष्य स्वयं ही मृत्यु की कगार पर आ खड़ा होगा।

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