nibandha vigyapan aur hamara jivan par

नमस्कार मित्र!
 
विज्ञान और मनुष्य का संबंध हमेशा से रहा है। विज्ञान मनुष्य की उच्च बौद्धिक क्षमता का नाम है। मानव ने जबसे अपने आस-पास की चीज़ों को समझना आरंभ किया उसका बौद्धिक विकास आरंभ होने लगा। बेहतर जीवन के लिए उसे अनेकों प्रकार की भौतिक सुविधाओं की आवश्यकता पड़ी। पहले वह पशुओं की भांति ही था। फिर उसने विकास करना आरंभ किया। अब उसे पहने के लिए वस्त्रों की, रहने के लिए घर की और भोजन के पकाने के लिए आग की आवश्यकता की। अपनी ज़रूरतों को देखते हुए उसने वस्त्रों का निर्माण किया, रहने के लिए घरों का निर्माण किया और भोजन पकाने के लिए आग को विकसित किया। यहीं से विज्ञान उसके जीवन का अभिन्न अंग बन गया।
आज विज्ञान के कारण ही हमारे पास सभी प्रकार की आधुनिक सविधाएँ विद्यमान है। कहीं भी बैठे हम अपने रिश्तेदारों से बात कर सकते हैं। किसी को संदेश दे सकते हैं। मिनटों में कहीं भी आ जा सकते हैं। पानी को काटते हुए विशाल जहाज़ बनाए हैं। समुद्रों को सीना तक हमने चीर डाला है। अपनी सुरक्षा के लिए हमारे भयानक अस्त्र-शस्त्र मौज़ुद हैं। कोई भी काम हो मशीनों के द्वारा पल में समाप्त किया जा सकता है। विज्ञान के द्वारा हम चाँद, मंगल, वृहस्पति, बुध आदि ग्रहों पर भी अपने झंडे गाड़ आए हैं।
जिधर भी नज़र घुमाएँ विज्ञान की देन हमारे आस-पास नज़र आ जाएगी। वह चाहे फोन हो, कंप्यूटर हो, टीवी हो, गाड़िया हो या फिर कुछ और। इसके बिना जीवन अधूरा है। ये हर कदम पर हमारे लिए बहुपयोगी बन गया है।
 
कई बार अत्यधिक सुविधा भी कभी असुविधा का कारण बन सकती है। जहाँ एक ओर इसने हमें तमाम सुविधाएँ दी हैं, वहीं दूसरी ओर उसने हमारे लिए अनगिनत मुसीबतों को न्यौता भी दिया है। हमने इसके द्वारा अपने लिए मौत का सामान जुटाना आरंभ कर दिया है। इसके द्वारा हमने भयानक परमाणु अस्त्र-शस्त्र बनाएँ हैं जो हमारे लिए ही घातक है। इसके कई आविष्कार ऐसे हैं जो वातावरण को विषैला बना रहें हैं। हमारे जीवन पर इसके दुष्प्रभाव पड़ रहा है। अत: हमें चाहिए कि इसका प्रयोग मानवता की भलाई में करें न कि उसके विनाश के लिए। यह जहाँ हमारा सच्चा मित्र हैं वहीं शत्रु बनते इसे देर नहीं लगेगी।
 
 
ढेरों शुभकामनाएँ!
 

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