paragraph on our national language in hindi

हिन्दी जैसे नाम से ही ज्ञात होता है। यह हिन्दुस्तान में रहने वाले निवासियों की पहचान है। यह मेरे देश के माथे की बिन्दिया के समान है। जैसे किसी सुहागन स्त्री के माथे पर विद्यमान बिंदी उसके गौरव और सौभाग्य प्रतीक होती है। वैसे ही हिन्दी मेरे देश के गौरव और सौभाग्य का प्रतीक है। यह हमारे देश की पहचान है। यह विडंबना की बात है कि इस राष्ट्रीय तौर पर दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है। परन्तु इससे इसके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता है। भारत बहु भाषीय देश हैं। इन सबके बीच हिन्दी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। विश्व में तीसरा स्थान प्राप्त है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितनी लोकप्रिय है। आज़ादी के समय में इसकी सशक्त भूमिका थी। इसी भाषा के कारण पूरा देश धागे में पिरोया गया था। इसने ही देशवासियों को जोड़ा और आज़ादी की मसाल को जलाया था। यह सीखने में सरल है। यह इसकी विशेषता है। भारत जैसे देश में जहाँ हर कदम पर भाषा बदल जाती है हिन्दी वहाँ पर संबंध बनाने में सहायक है।

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