paryavaran pradushan par eassy in hindi

मित्र हम आपको इस विषय पर निबंध लिखकर दे रहे हैं। आशा करते हैं कि यह आपकी सहायता करेगा।
'पृथ्वी ' इस ग्रह पर हम सदियों से निवास कर रहे हैं। ईश्वर की यह हमें अद्भुत देन है। यदि पृथ्वी नहीं होती, तो हमारा जीवन भी संभव नहीं था। इस पृथ्वी में वे सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं, जो मनुष्य के जीवन के लिए आवश्यक है। इसका एक वायुमंडल है जो मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है। मनुष्य सदियों से यहाँ निवास कर रहा है। आरंभ में वह इतना शिक्षित व बुद्धिमान नहीं था। जैसे-जैसे उसका विकास होता गया, उसने पृथ्वी का दोहन करना आरंभ कर दिया। उसने अपनी सीमाएँ पार करते हुए, उसका वायुमंडल और इस पृथ्वी को ही नाश की कगार पर लाकर रख दिया। मनुष्य के उत्तम स्वास्थ्य के लिए वातावरण का शुद्ध होना परमावश्यक होता है। मनुष्य पर्यावरण की उपज होता है। जब से व्यक्ति ने प्रकृति पर विजय पाने का अभियान शुरु किया है, तभी से मानव प्रकृति के प्राकृतिक सुखों से भी हाथ धो बैठा है क्योंकि मानव ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ दिया है जिससे अस्वास्थकारी परिस्थितियाँ जन्म ले रही हैं। जब पर्यावरण में एक या अधिक तत्वों की मात्रा अपने निश्चित अनुपात से बढ़ जाती है या पर्यावरण में विषैले तत्वों का समावेश हो जाता है तो पर्यावरण में होने वाले इस घातक परिवर्तन को ही प्रदूषण की संज्ञा दी जाती है। यद्यपि प्रदूषण के विभिन्न रुप हो सकते हैं, तथापि इनमें वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण मुख्य है। दूषित वायु में साँस लेने से व्यक्ति का स्वास्थ्य तो खराब होता ही है, साथ ही लोगों का जीवन-स्तर भी प्रभावित होता है। लकड़ी, कोयला, खनिज तेल, कार्बनिक पदार्थों के ज्वलन के कारण वायुमंडल दूषित होता है। औद्योगिक संस्थानों से निकलने वाली सल्फर डाई-ऑक्साइड और हाईड्रोजन सल्फाइड गैस प्राणियों तथा अन्य पदार्थों को काफी हानि पहुँचाती हैं। सड़कों और नालियों की सफाई की ओर पर्याप्त ध्यान न देने से भी वायु प्रदूषण बढ़ता है। जल सभी प्राणियों के जीने के लिए अनिवार्य है। जब औद्योगिक अनुपयोगी वस्तुएँ जल में मिला दी जाती हैं तो वह जल पीने योग्य नहीं रहता। जब से मनुष्य ने वनों को काटना प्रारंभ किया है, तब से प्रदूषण का खतरा निरंतर वृद्धि पर है। बड़े-बड़े नगरों में ध्वनि प्रदूषण भी गंभीर समस्या बनकर सामने आ रहा है। अनेक प्रकार के वाहन, लाउडस्पीकर औद्योगिक संस्थानों की मशीनों के शोर ने प्रदूषण को जन्म दिया है। प्रदूषण को रोकने के लिए वायुमंडल को साफ-सुथरा रखना परमावश्यक है। इस ओर जनता को जागरुक किया जाना चाहिए। बस्ती व नगर के समस्त वर्जित पदार्थों के निष्कासन के लिए सुदूर स्थानों पर समुचित व्यवस्था की जाए। जो औद्योगिक प्रतिष्ठान शहरों तथा घनी आबादी के बीच है, उन्हें नगरों से दूर स्थानांतरित करने का पूरा प्रबन्ध किया जाए, सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाए, वन संरक्षण तथा वृक्षारोपण को सर्वाधिक प्राथमिकता देनी चाहिए जिससे प्रदूषण मुक्त वातावरण का निर्माण हो सके।

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Boaring! essay writing is such a boaring.......

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Pradusan jo ki aaj ke bade smasyon mei se ek mana jata h. Vigyan ke is yug mei manav jati ka jahan kuch vardan mile h wohi kuch abhisap v mile h. Pradusan ek aisa abhisap h jiska janam vigyan se hua h aur ise sahane ke liye adhikans janta majboor h. Pradusan ka arth hota h prakrtik ke santulan mei kuch kharabhi. Iske karan hmare batabaran mei pani,hawa abam dhwani pradusit ho jati h. Pradusan 3prkar ke hote h:- 1. Jal pradusan 2. Bayu pradusan 3. Dhwani pradusan Jal pradusan ka arth h jal ki sudhta mei aya dos. Jal pradusan hmare liye bhut prakar se hanikarak h. Bayu pradusan ka arth h bayu ki sudhta mei aya dos. Iske karan bhut log ka sehat khrab ho jate h aur bahut ki jaan v chale jaate h. Dhwani pradusan ka arth h kharab dhwani jo ki ek prkar ka dhor kahlata h. Dhwani prdusan ke karan bahut log to bahre v ho jaate h. Hope it will help u
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