Please explain this doha in Hindi:
Man ke mate na chaliye,man ke mate anek,
Jo man par asvar hain,so sadhu koi ek

मित्र कबीर जी ने इस दोहे में मन की चंचलता का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि मन बहुत चंचल होता है। वह कभी स्थिर नहीं रहता। मन में उठने वाले विचार तथा भाव सदैव परिवर्तित होते रहते हैं। इस मन को नियंत्रित करना किसी विरले से ही संभव है। ऐसे व्यक्ति बहुत कं देखने को मिलते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य सदैव सांसारिक भोग-विलासों में उलझा रहता है। उसका मन इस संसार में उलझा रहता है। परंतु ज्ञानी व्यक्ति मन को नियंत्रित कर अपनी इच्छाओं पर काबू पा लेते हैं। ऐसे व्यक्ति ही इस संसार से मुक्त हो पाते हैं। 

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