Pls provide a debate on bhagya bada ya purusharth... in favour of purusharth

मित्र!
भाग्य के सहारे कमज़ोर और आलसी लोग बैठा करते हैं। उनके पास अपनी हार तथा बेचारगी को दिखाने के लिए कुछ और नहीं होता है। अतः वह भाग्य पर सब छोड़ देते हैं। जो लोग साहसी, मेहनती और दृढ़-निश्चयी होते हैं, वे भाग्य के स्थान पर पुरुषार्थ का सहारा लेते हैं। वह कठिन परिश्रम से जी नहीं चुराते। लगातार प्रयास करते हैं और असंभव को भी संभव बना डालते हैं। उनके पुरुषार्थ का ही परिणाम होता है कि आज विशाल पहाड़ों को काटकर सुरंग बनाई जा सकी है। समुद्र का सीना चीरकर पुल बनाए गए हैं। पुरुषार्थ मनुष्य को मेहनत करने के लिए उत्साहित करता है। पुरुषार्थ वह बल जो मनुष्य को पंक्ति में प्रथम में रहने के लिए प्रेरित करता है।  

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