plz mujhe 'dhool ki assarta par dohe' de dijiye.

it's very urgent......

नमस्कार मित्र!
रहिमन ठहरी धूरि की, रही पवन ते पूरि
गाँठ युक्ति की खुलि गयी
, अंत धूरि को धूरि
रहीम कहते हैं ठहरी हुई धूल हवा चलने से स्थिर नहीं रहती, जैसे व्यक्ति की नीति का रहस्य यदि खुल जाये तो अंतत: सिर पर धूल ही पड़ती है। अर्थात श्रेष्ठ पुरुष अपने अपने हृदय के विचारों को आसानी से किसी के सामने प्रकट नहीं करते। यदि उनके नीति सबंधी विचार पहले से खुल जाएं तो उनका प्रभाव कम हो जाता है और उन्हें अपमानित होना पड़ता है।
ढेरों शुभकामनाएँ!

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