plz write a nibandh on agar mein shiksha mantri hoti
मित्र हम आपको एक विषय पर कुछ पंक्तियाँ लिखकर दे सकते हैं। बाकी आप स्वयं लिखने का प्रयास करें। इससे आपका अच्छा अभ्यास होगा-
यदि मैं शिक्षामंत्री होता तो, देश में निरक्षता का अभिशाप हटाने के लिए हर संभव प्रयास करता। सर्वप्रथम में पद में बैठते ही बैठक बुलाता और शिक्षा विभाग के सभी बड़े अधिकारियों को इसमें आंमत्रित करता। देश में शिक्षा के स्तर का जायज़ा लेता। देश में गरीब लोगों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग को खास निर्देश और समय सीमा देता। इस तरह हर उस वर्ग को शिक्षा का अधिकार देने का प्रयास करता, जो धन के अभाव में शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते हैं। देश में ऐसे इलाकों की सूची मंगाता जिनमें विद्यालयों का अभाव होता। प्रयास करता कि मेरे कार्यकाल तक वहाँ पर विद्यालय बनवाने के बाद उसमें विद्यार्थी भी पढ़ाना आरंभ कर दें ताकि मेरे जाने के बाद वहाँ का कार्य रूक न जाए। हमारे देश मे शिक्षा को तो स्थान मिलता है परन्तु खेलों की अनदेखी होती। विद्यालयों में खेलों को राष्ट्रीय पर आरंभ करवाता ताकि देश को अच्छे और बहुत से खिलाड़ी मिल पाएँ। राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा आंदोलन चलाता था उसमें समाजसेवी संस्थाओं को भी जोड़ता। इस तरह में अपने कार्याकाल तक देश के हर वर्ग में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाकर देश को शत-प्रतिशत साक्षर बनाने का प्रयास करता।
यदि मैं शिक्षामंत्री होता तो, देश में निरक्षता का अभिशाप हटाने के लिए हर संभव प्रयास करता। सर्वप्रथम में पद में बैठते ही बैठक बुलाता और शिक्षा विभाग के सभी बड़े अधिकारियों को इसमें आंमत्रित करता। देश में शिक्षा के स्तर का जायज़ा लेता। देश में गरीब लोगों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग को खास निर्देश और समय सीमा देता। इस तरह हर उस वर्ग को शिक्षा का अधिकार देने का प्रयास करता, जो धन के अभाव में शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते हैं। देश में ऐसे इलाकों की सूची मंगाता जिनमें विद्यालयों का अभाव होता। प्रयास करता कि मेरे कार्यकाल तक वहाँ पर विद्यालय बनवाने के बाद उसमें विद्यार्थी भी पढ़ाना आरंभ कर दें ताकि मेरे जाने के बाद वहाँ का कार्य रूक न जाए। हमारे देश मे शिक्षा को तो स्थान मिलता है परन्तु खेलों की अनदेखी होती। विद्यालयों में खेलों को राष्ट्रीय पर आरंभ करवाता ताकि देश को अच्छे और बहुत से खिलाड़ी मिल पाएँ। राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा आंदोलन चलाता था उसमें समाजसेवी संस्थाओं को भी जोड़ता। इस तरह में अपने कार्याकाल तक देश के हर वर्ग में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाकर देश को शत-प्रतिशत साक्षर बनाने का प्रयास करता।