poems on sharad ritu in hindi

नमस्कार मित्र!
 
कुछ हाइकु कविता की रचियता है माधवी शर्मा गुलेरी
सिमट गई
बर्फ़ की रजाई में
शरद ऋतु


चला कोहरा
जाने किस दिशा में
लिए मन को

पहन लिया
चिनार ने भी चोला
बसंत में

माँ का पहलू
जाड़े की धूप जैसा
नर्म-ओ-गर्म

ठिठका हुआ
बादल उड़ गया
बरस कर

चलता रहे
दरिया की तरह
जीवन चक्र
 
ढेरों शुभकामनाएँ! 
 

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