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jab mein apni sakhi ke saath apne mata pita ko bina bataye cinema gayi aur wahan par mujhe apne pita ji ke dost mile

मित्र हम आपको इस विषय पर आरंभ करके दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें। इससे आपका अच्छा अभ्यास होगा और आपका लेखन कौशल बढ़ेगा।

मेरे माता-पिता पुराने विचारों के हैं। उनके लिेए घर से बाहर लड़कियों का अकेला घूमना अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए वे कभी भी मुझे अकेले कहीं भी घूमने की अनुमति नहीं देते थे। अपनी सहेली के घर भी मुझे किसी खास अवसर पर ही जाने की अनुमति मिल पाती थी। मेरे सारे दोस्त हर रविवार को कहीं न कहीं घूमने जाते हैं तथा कक्षा में आकर हमें उसके बारे में बताते हैं। उनकी मनोरंजक बातें सुनकर मेरा भी मन दोस्तों के साथ घूमने जाने के लिेए मचल उठता। इसलिए एक दिन मैंने और मेरी सखी ने फिल्म देखने की योजना बनाई। उसने बीमार होने का बहाना करके मेरे माता-पिता से मुझे अपने साथ ले जाने की अनुमति माँग ली। इसके बाद हम दोनों प्रसन्नतापूर्वक सिनेमाघर पहुँच गए। हम टिकट की पंक्ति में खड़े होकर प्रतीक्षा करने लगे। तभी किसी ने पीछे से मेरा नाम पुकारा। मैंने मुड़कर देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। वह मेरे पिता जी के खास मित्र थे।..............


 

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