pragati ki aur bahrat ke badhte kadam par anuched
वर्षों पहले भारत गुलाम देश था। शासक देश ने इसकी अतुलनीय धन-संपदा पर कब्ज़ा कर लिया और इसे निर्धन बना दिया। समय बदला और भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली। देश के आगे अब अनेक चुनौतियाँ विद्यमान थीं। भारत यूरोपीय देशों की तुलना में बहुत पिछड़ा हुआ था और विदेशी सहायता पर निर्भर था। स्वतंत्र भारत को आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने की आवश्यकता थी। तत्कालीन सरकार द्वारा अनेक प्रकार के प्रयास किए गए। इन प्रयासों ने धीरे-धीरे अपना रंग दिखाना शुरू किया और भारत ने विकास की आेर अपने कदम बढ़ाने आरंभ किए। भारत सरकार अर्थव्यवस्था के विकास की दिशा में प्रयत्नशील थी। वे देश को दूसरे देशों की तुलना में आगे ले जाना चाहती थी। इसके लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। सबसे पहला उद्देश्य, भारत में उत्पादन-क्षमता बढ़ाना था। जहाँ उत्पादन-क्षमता में वृद्धि होने लगी, भारत की आर्थिक व्यवस्था बढ़ने लगी। भारत में औद्योगिक विकास पर विशेष ज़ोर दिया गया क्योंकि यह देश के आर्थिक पक्ष को ठोस आधार देते हैं। भारत में शिक्षा के स्तर को फैलाया गया। भारत में कंप्यूटर के प्रयोग को भी महत्व दिया गया। सारे सरकारी संस्थानों में कंप्यूटर को स्थान देकर अपनी प्रगति को भारत ने नए आयाम दे दिए। इसके बाद भारत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। २१वीं सदी के भारत को और मज़बूत बना दिया गया है। आज पूरे विश्व में भारत का लोहा माना जाने लगा है। देश के प्रत्येक महानगर और गाँव में शिक्षा का प्रसार तेज़ी से फैल चुका है। बिजली-पानी, चिकित्सा संबंधी सुविधाएँ गाँव-गाँव, नगर-नगर तक पहुँच गई हैं। चिकित्सा व्यवस्था में भारत के कई बड़े अस्पताल विश्व में अपना नाम स्थापित कर चुके हैं। आज का भारत सफलता के शिखर पर अग्रसर है। प्रौद्योगिकी विकास ने सोने पे सुहागा का कार्य किया है, वह अन्य देशों की तुलना में अत्याधुनिक बन गया है। भारत अन्य देशों को टक्कर देने की क्षमता रखने लगा है। आज भारत परमाणु संपन्न देश है। अपने देश में उत्पन्न सभी समस्याओं को भविष्य में समाप्त करने का उसका संकल्प है। आज का भारत अपनी विजयगाथा का बखान अपनी प्रगति से कर रहा है, जो अन्य देशों के लिए मिसाल है।