prem chand ka joota kaise fata hoga
Hi!
उनका जूता लेखक के अनुसार ठोकरे मारने के कारण फट गया होगा। लेखक के अनुसार रास्ते में उन्हें कोई टीला मिलता होगा और प्रेमचंद ने जूते को मारते हुए अपना जूता फटावा लिया होगा।
लेखक की इस बात का एक अर्थ और निकलता है की प्रेमचंद ने अपनी कहानियों व उपन्यासों में समाज में फैली बुराइयों, कुरीतियों, परंपराओं, भेदभावों व अराकता का भरसक विरोध किया था। इन सब के विरोध के कारण उन्हें सरकार व पूंजीपतियों का विरोध सहना पड़ा व स्वयं गरीबी में घिरे रहे शायद उनका विरोध करने के कारण उनका जूता फट गया होगा। यहाँ लेखक ने टीला से समाज में फैली बुराइयों, कुरीतियों, परंपराओं, भेदभावों व अराकता को प्रतीक स्वरूप लिया है और प्रेमचंद की कलम को उनके जूते स्वरुप लिया है।
मैं आशा करती हूँ कि आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढेरों शुभकामनाएँ !