rahim ka doha ka arth
मित्र सारे दोहों का अर्थ एक साथ देना संभव नहीं है। हम आपको आरंभ के दो दोहों का अर्थ दे रहे हैं।
(क) रहीम के अनुसार प्रेम संबंध बहुत कोमल होता है। इस संबंध में यदि किसी प्रकार की कटुता आ जाती है, तो इसे पुन: जोड़ने पर उसकी स्थिति पहले जैसी नहीं रहती है। प्रेम विश्वास की डोर से बँधा होता है। यह डोर टूटने पर पुन: नहीं जुड़ पाता। इसमें अविश्वास और संदेह की गाँठ पड़ जाती है। एक बार यदि गाँठ पड़ जाती है, तो इसे पहले की भांति नहीं किया जा सकता है।
(ख) कवि अपने मन की व्यथा छिपाकर रखने को कहता है क्योंकि इसके कहने या प्रकट करने का कोई लाभ नहीं है। इसे सुनकर लोग मन-ही-मन प्रसन्न होते हैं। दूसरों को इसे सुनाकर वह खुब आनंद बटोरते हैं। दुख को बाँटने कोई नहीं आता। लोग दूसरे के दुख में मज़ा लेते हैं। वे किसी की सहायता नहीं करते।