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जहाँ रुप और गुण को बहुत अधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान को आरोपित कर दिया जाए व उनके बीच का अंतर समाप्त कर दिया जाए, वहाँ रुपक अलंकार होता है अर्थात् जिसकी उपमा दी जाए उसको जो उपमा दी जा रही है वैसा ही मान लिया जाए।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
इस भजन की इस पंक्ति में राम को रत्न रुपी धन माना है।
वहीं मानवीकरण अंलकार नाम से ही इसके विषय में अंदाजा लगाया जा सकता है। इस अंलकार में प्रकृति व उसके उपादानों जैसे लता, पेड़, बादल, आकाश, चांद, धरती, फूल, हवा इत्यादि को मनुष्य के समान व्यवहार करते या भावनाएं रखते हुए दर्शाया जाए वह मानवीकरण अंलकार होता है; जैसे-
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के।
इस पंक्ति में मेघों को इस तरह से प्रस्तुत किया गया है की वह मनुष्य के समान सज-सँवर के आएं है।
अब आशा करती हूँ की आपको इन दोनों के बीच का अंतर समझ आ गया होगा।
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढ़ेरों शुभकामनाएँ!