samaj mei badti hui asuraksha ke samanad mei apa ne vichar par kat kar the hue rashtiya sahara ke sampadan ko paratr lekeye

नमस्कार मित्र,

सेवा में, 

संपादक महोदय, 

राष्ट्रीय सहारा, 

नई दिल्ली। 

विषय: समाज में बढ़ रही असुरक्षा पर चिंता जताने हेतु और समाधान बताने हेतु पत्र। 

श्रीमान जी, 

मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र द्वारा समाज में बढ़ रही असुरक्षा के भाव पर चिंता जताना चाहता हूँ। आज हमारा समाज तेजी से विकास कर रहा है परन्तु उसके साथ ही उसके आधार स्तंभ नैतिक मूल्यों का क्षरण भी तेज़ी से हो रहा है। इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि चोरी, डकैती, हत्या, छेड़छाड, बलात्कार के मामलों में भी तेज़ी आई है। आम आदमी का इस कारण समाज में रहना कठिन हो रहा है। एक समाज में रहकर मनुष्य विकास करता है और अपना परिवार बनाता है। समाज में रहने से ही वह सभ्य और सुरक्षित कहलाता है। समाज हमारे जीवन का आधार है परन्तु आज समाज की जो दुर्गति हो रही है, वह यह सोचने पर विवश कर देती है कि मनुष्य कैसे इस समाज में रह सकता है। हमें चाहिए कि दुषित हो रहे इस समाज को बचाएँ। यदि यह नहीं रहा तो हमारा अस्तित्व भी बिखर जाएगा। हमें अपने बच्चों में नैतिक मूल्यों का समावेश करना पड़ेगा। ऐसे कार्यक्रम और ऐसी फिल्मों पर रोक लगानी पड़ेगी, जो युवाओं के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालती है। इस तरह हम कुछ हद तक इस समस्या पर अंकुश लगा सकते हैं। 

धन्यवाद, 

भवदीय, 

क.ख.ग 

पता: .............. 

दिनांक:..............

  • 26
What are you looking for?