Sparsh Book of Hindi, lesson Dhool related write two peoms,two suktiyan and two muhavray

नमस्कार मित्र!
आपकी सहायता के लिए हमने आपको निम्नलिखित सामग्री दे दी है। एक कविता आप स्वयं खोजें।
मुहावरे- धूल में मिलना, धूल चाटना।
सूक्तियाँ- (1) मानव जीवन धूल की तरह है, रो-धोकर हम इसे कीचड़ बना देते हैं। -बकुल वैद्य
(2) धूल भी पैरों से रौंदी जाने पर ऊपर उठती है, तब जो मनुष्य अपमान को सहकर भी स्वस्थ रहे, उससे तो वह पैरों की धूल ही अच्छी। - माघकाव्य
कविता-
1. धूल
कल तक
पैरों के नीचे
जीवन तलाशती धूल
जाग उठी
पाकर हवा का स्पर्श
चढ़ गई धरती से
आसमान तक
फैल गया
धूल का अपना संसार
बंद हो गई
घूरती आँखें
उसका सामना करने के
डर से
 
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

  • -3
What are you looking for?