speech on prem hi jivan hai

मित्र हम आपको इस विषय पर प्रारंभ करके दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें। इससे आपका लेखन कौशल बढ़ेगा। 
 
प्रेंम वह अनुभूति है जो किसी भी मनुष्य को अंदर तक छू जाती है तथा उसकी ज़िंदगी बदल देती है। प्रेम के अनेक रूप होते हैं, जैसे- माता-पिता के प्रति प्रेम, भाई-बहन के प्रति प्रेम, देश के प्रति प्रेम, ईश्वर के प्रति प्रेम, प्रेमी या प्रेमिका के प्रति प्रेम आदि। ​प्रेम मनुष्य की सारी बुराइयों को समाप्त कर देता है तथा उसे जीवन का एक लक्ष्य देता है। वर्तमान समय में मनुष्य को जीने के लिए धन की आवश्यकता है। मनुष्य पूरा जीवन धन कमाने में ही बिता देता है। आज उसके पास अपने लिए समय ही नहीं है। परन्तु इस भागम-भाग वाले जीवन में जब मनुष्य स्वयं को अकेला पाता है, तब प्रेम उसे राहत के कुछ क्षण देता है। एक बच्चे के लिए माँ का दुलार जो कार्य करता है, वह धन नहीं करता है। एक थके हारे व्यक्ति को जब किसी अपने का सहारा मिलता है, तो वह धन को भी भूल जाता है। प्रेम चाहे माँ, पत्नी, बहन, मित्र से जुड़ा हुआ हो तो कठिन क्षणों में सहारा देता है। हमें जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति देता है।.................

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