इंसान के दुखों का कारण उसका मन है। इंसान के मन में तरह-तरह के विचार उत्पन्न होते हैं। इन्हीं के आधार पर वह कर्म करता है। उन्हीं कर्मों से उसके चरित्र का निर्माण होता है। यह बात ज्योति भारती ने अजीत रोड स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में कही। उन्होंने कहा कि जैसे धूल जब हवा की संगत करती है, तो आकाश पर चढ़ जाती है। जब जल का संगकरती है तो कीचड़ बन जाती है। ठीक यही स्थिति आज इंसान की है।...