stri siksha ke vipaksh mein


एक समाज के विकास के लिए स्त्री का शिक्षित होना बहुत आवश्यक है। स्त्री जहाँ घर का निर्माण करती है, वहीं वह एक जीवन को भी उत्पन्न करती है। उसके कंधों पर अनायास ही समाज का निर्माण करने का भार आ जाता है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की यदि एक स्त्री अशिक्षित हो तो समाज की क्या दशा होगी। भारत में आरंभ से स्त्री शिक्षा पर प्रतिबंध नहीं था परन्तु बदलते वातावरण ने उसके इस अधिकार को छिन लिया। जहाँ एक स्त्री शिक्षा के अधिकार से वंचित हुई समाज में भी विभिन्न तरह की कठिनाइयाँ उत्पन्न होने लगी। स्त्री वह पहली कड़ी होती है जिससे बच्चा रूबरू होता है। वह माँ के द्वारा संसार को जानने समझने लगता है, माँ उसको जैसा संसार दिखाती है, वह संसार को वैसा ही देखने लगता है। यदि एक अशिक्षित माँ अन्य चीजों के बारे में खुद अंजान है तो वह बच्चे को कैसे सही व पूरा ज्ञान दे पाएगी। इस तरह समाज का विकास रूक जाता है, जहाँ समाज का विकास रूकता है, देश का विकास अपने-आप रूक जाता है।
दूसरे स्त्री को शिक्षा देने का एक यही कारण नहीं हो सकता है, उसे स्वयं के विकास व गर्व के साथ खड़े होने के लिए शिक्षित होना आवश्यक है। अशिक्षित स्त्री अपने अधिकारों से वचिंत होती है। कोई भी उसका फ़ायदा उठा सकता है। समाज में अशिक्षित होने के कारण उसका शोषण सबसे ज्यादा होता है। यदि स्त्री शिक्षित है तो वह स्वयं को स्वाबलंबी बना लेती है, इससे वह अपने भरण पोषण के लिए
किसी दूसरे पर निर्भर नहीं होती है। इस तरह व अपने ऊपर हो रहे शोषण का विरोध कर स्वयं को बचा सकती है।
स्त्री का शिक्षित होना समाज, देश व उसके स्वयं के विकास के लिए अति आवश्यक है। जिस स्थान पर स्त्री शिक्षित होती है, वहाँ इतनी विषमताएँ देखने को नहीं मिलती है।

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