Summary of Ramayan in hindi
रामचरितमानस तुलसीदास द्वारा रचित एक महाकाव्य है। भारतीय संस्कृति में इस रचना का बहुत महत्व है। तुलसीदास से पहले वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना संस्कृत भाषा में की थी। उनकी प्रेरणा से तुलसीदास ने अवधी भाषा में इसकी रचना कर इसे भारतीयों के दिलों में सदा के लिए अमर कर दिया। एक किवदंती के अनुसार आरंभ में तुलसीदास रामचरितमानस की रचना संस्कृत भाषा में करना चाहते थे। परन्तु वह पूरे दिन जितने श्लोकों का निर्माण करते परन्तु अगले सुबह देखते तो श्लोक गायब हो जाते। अतः शंकर जी ने उन्हें स्वप्न में आकर जनभाषा (अवधी) में लिखने की प्रेरणा दी। कहा जाता है कि उसके बाद उन्होंने पूरे ग्रंथ को अवधी भाषा में लिखा। जिसे साधारण जन ने सहर्षता से अंगीकार कर लिया। यह गेय रचना है, जिसे कंठस्थ किया जा सकता है। इसे सात कांडों में विभक्त किया गया है, जिसमें बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किन्धाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड तथा उत्ररकांड है। यह रचना राजा राम पर केंद्रित है। इसमें अयोध्याकांड सबसे बड़ा और सुंदरकांड सबसे बड़ा माना जाता है। यह अलंकारी रचना है जिसमें अलंकार का सुंदर प्रयोग किया गया है। यह रचना हमें सिखाती है कि हमें अपने बड़ों का आदर करना चाहिए, उनकी आज्ञा को शिरोधार्य करना चाहिए, अपने छोटों से प्रेम तथा उनके सुख के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए, असत्य और अर्ध का मुँह तोड़ जवाब देना चाहिए, मित्र की हर संभव सहायता करनी चाहिए, स्त्री का मान रखना चाहिए, अहंकार का त्याग करना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए, दूसरों की सहायता करनी चाहिए। इस तरह तुलसीदास जी भगवान राम के चरित्र द्वारा नैतिक शिक्षा पर भी बल देते हैं। यह रचना जहाँ अशांत मन को शांति प्रदान करती है, वहीं जीवन के कठिन संघर्षमय समय में निर्भयता और दृढ़तापूर्वक बढ़ने का साहस प्रदान करती है।