summary of the story Gillu by mahadevi verma.. want it right now. please tell me.. of about 1-2 pages.

it is a story by mahadevi verma

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 I was asking the same thing

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 You can find it in the Hindi Study Zone. Select the chapter and then "View Summary".

Hope it helps.

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 send any other short story of mahadevi verma except gillu

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 gillu by mahadevi verma

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t is a story about a suirrel who is about to die but the poet saves her and make her a pet gillu was very happy with the poet and after 2 year when her deadth came close she hold the narrators legs because she thought that the poet will save her as she saved her when she was a small squirrel

 

Posted by ritu sharma(student)

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Thisis a story about a suirrel who is about to die but the poet saves her and make her a pet gillu was very happy with the poet and after 2 year when her death came close she hold the narrators legs because she thought that the poet will save her as she saved her when she was a small squirrel.

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how to go out from this

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SUMMARY OF GILLU BY MAHADEVI VERMA IN HINDI

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Yes this lesson is all about a little squirrelwhich was found near a pot. MahadeviVerma takes care of that Squirrel. Its name is Gillu. Gillu's favourite food is cashew nuts. One day the writer met with a accident she will be in hospital. till then the gillu never eats its favourite food. one day even the gillu dies. the dead body of gillu is under a pot.
Hope it helped You
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thank u
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Gillu is good stiry and I m also searching for that.
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Thanks it also helped me. I translated it into hindi language.thanks a lot once again
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Blah blah blah
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Thisis a story about a suirrel who is about to die but the poet saves her and make her a pet gillu was very happy with the poet and after 2 year when her death came close she hold the narrators legs because she thought that the poet will save her as she saved her when she was a small squirrel.
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hi guys
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hw r u
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गिल्लु ऐक छोटे से जीब गिलहरे का बच्चा था
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गिल्लु एक गिलहरी के बच्चे का नाम था. वह बहुत सुन्दर और आशा था. जब लेखिका अपना काम कर रही होती तू वह उसका ग्यान अपने और करने के लिए वह उसके पैर पर आकर खेलता. फिर वह पर्दे पर तेजी से चरता और उसी तेजी से नीचे आता. वह तब तक करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ नही आती.
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गिल्लू एक गिलहरी का बच्चा था. वह बहुत सुन्दर था.
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Thanks
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aur kuchh

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पाठ का सार / तपाय यह पाठ महादेवी वमावारा संमरणामक शल ै मलखा गया है। इसमउहनेगलूनामक गलहर के बारेमलखा है। वह उनके वारा पाला गया एक जीव था। लेखका का उससेबहुत आमीय संबंध था। इस पाठ मगलहर के वभाव, उसके खान-पान, यवहार इयाद क सटक जानकार द गई है। गलू एक गलहर हैमगर अपनेपालक के त उसमसंवेदनशीलता और ेम कूट-कूटकर भरा हुआ है। पाठ मजगह-जगह इस बात के माण मलतेह। लेखका क चारक / वभावगत वशषताए े ँ ➽ सरल ➽ गंभीर ➽ समपत ➽ दयालु ➽ िजासु ➽ संवेदनशील गलूक चारक / वभावगत वशषताए े ँ ➽ चतरु ➽ चंचल ➽ िजासु ➽ समझदार ➽ संवेदनशील ➽ ेम सेभरा पाठ का उदेय ➽ गलहर के वभाव, यवहार, खानपान इयाद के बारेमजानकार देना। ➽ जीव-जतओु ंमयात ेम, संवेदनशीलता तथा मानवीय भाव का परचय हमसेकरवाना। पाठ सेमलनेवाल शाएँ / संदेश / ेरणा ➽ हमसभी ाणय के त दया तथा ेभ भाव रखना चाहए।
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class 9th Hindi part 5 person Uttar
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Hindi book class 9th Hindi medium
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Please see this images hear are summary of the story....

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इस पाठ में लेखिका ने अपने जीवन के एक अनुभव को हमारे साथ सांझा किया है। यहाँ लेखिका ने अपने जीवन के उस पड़ाव का वर्णन किया है जहाँ उन्होंने एक गिलहरी के बच्चे को कवों से बचाया था और उसे अपने घर में रखा था। लेखिका ने उस गिलहरी के बच्चे का नाम गिल्लू रखा था। यह पाठ उसी के इर्द-गिर्द घूम रहा है इसीलिए इस पाठ का नाम भी ‘गिल्लू’ ही रखा गया है। लेखिका ने जो भी समय गिल्लू के साथ बिताया उस का वर्णन लेखिका ने इस पाठ में किया है।इस पाठ में लेखिका ने अपने जीवन के उस पड़ाव का वर्णन किया है जहाँ उन्होंने एक गिलहरी के बच्चे को कौवे से बचाया था और उसे अपने घर में रखा था। लेखिका ने उस गिलहरी के बच्चे का नाम गिल्लू रखा था। लेखिका कहती है कि आज जूही के पौधे में कली निकल आई है जो पिले रंग की है। उस कली को देखकर लेखिका को उस छोटे से जीव की याद आ गई जो उस जूही के पौधे की हरियाली में छिपकर बैठा रहता था। परन्तु लेखिका कहती है कि अब तो वह छोटा जीव इस जूही के पौधे की जड़ में मिट्टी बन कर मिल गया होगा। क्योंकि अब वह मर चुका है और लेखिका ने उसे जूही के पौधे की जड़ में दबा दिया था।लेखिका कहती है कि अचानक एक दिन जब वह सवेरे कमरे से बरामदे में आई तो उसने देखा कि दो कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से चुपके से छूकर छुप जाना और फिर छूना जैसा कोई खेल खेल रहे हैं। लेखिका कहती है कि यह कौवा भी बहुत अनोखा पक्षी है-एक साथ ही दो तरह का व्यवहार सहता है, कभी तो इसे बहुत आदर मिलता है और कभी बहुत ज्यादा अपमान सहन करना पड़ता है। लेखिका कहती है कि जब वह कौवो के बारे में सोच रही थी तभी अचानक से उसकी उस सोच में कुछ रुकावट आ गई क्योंकि उसकी नजर गमले और दीवार को जोड़ने वाले भाग में छिपे एक छोटे-से जीव पर पड़ी। जब लेखिका ने निकट जाकर देखा तो पाया कि वह छोटा सा जीव एक गिलहरी का छोटा-सा बच्चा है। उस छोटे से जीव के लिए उन दो कौवों की चोंचों के दो घाव ही बहुत थे, इसलिए वह बिना किसी हरकत के गमले से लिपटा पड़ा था। लेखिका ने उसे धीरे से उठाया और अपने कमरे में ले गई, फिर रुई से उसका खून साफ़ किया और उसके जख्मों पर पेंसिलिन नामक दवा का मरहम लगाया। कई घंटे तक इलाज करने के बाद उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और निश्चिन्त हो गया कि वह लेखिका की उँगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़कर और अपनी नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर-उधर देखने लगा। सब उसे अब गिल्लू कह कर पुकारते थे। लेखिका कहती है कि जब वह लिखने बैठती थी तबअपनी ओर लेखिका का ध्यान आकर्षित करने की गिल्लू की इतनी तेज इच्छा होती थी कि उसने एक बहुत ही अच्छा उपाय खोज निकाला था। वह लेखिका के पैर तक आता था और तेज़ी से परदे पर चढ़ जाता था और फिर उसी तेज़ी से उतर जाता था। उसका यह इस तरह परदे पर चढ़ना और उतरने का क्रम तब तक चलता रहता था जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए नहीं उठती थी। लेखिका गिल्लू को पकड़कर एक लंबे लिफ़ाफ़े में इस तरह से रख देती थी। जब गिल्लू को उस लिफ़ाफ़े में बंद पड़े-पड़े भूख लगने लगती तो वह चिक-चिक की आवाज करके मानो लेखिका को सूचना दे रहा होता कि उसे भूख लग गई है और लेखिका के द्वारा उसे काजू या बिस्कुट मिल जाने पर वह उसी स्थिति में लिफ़ाफ़े से बाहर वाले पंजों से काजू या बिस्कुट पकड़कर उसे कुतरता। लेखिका कहती है कि बाहर की गिलहरियाँ उसके घर की खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करके न जाने क्या कहने लगीं? जिसके कारण गिल्लू खिड़की से बाहर झाँकने लगा। गिल्लू को खिड़की से बाहर देखते हुए देखकर उसने खिड़की पर लगी जाली की कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया और इस रास्ते से गिल्लू जब बाहर गया तो उसे देखकर ऐसा लगा जैसे बाहर जाने पर सचमुच ही उसने आजादी की साँस ली हो। लेखिका को जरुरी कागज़ो-पत्रों के कारण बाहर जाना पड़ता था और उसके बाहर जाने पर कमरा बंद ही रहता था। लेखिका कहती है कि उसने काॅलेज से लौटने पर जैसे ही कमरा खोला और अंदर पैर रखा, वैसे ही गिल्लू अपने उस जाली के दरवाजे से अंदर आया और लेखिका के पैर से सिर और सिर से पैर तक दौड़ लगाने लगा। उस दिन से यह हमेशा का काम हो गया था। काजू गिल्लू का सबसे मनपसंद भोजन था और यदि कई दिन तक उसे काजू नहीं दिया जाता था तो वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बंद कर देता था या झूले से नीचे फेंक देता था।लेखिका कहती है कि उसी बीच उसे मोटर दुर्घटना में घायल होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा। उन दिनों जब कोई लेखिका के कमरे का दरवाजा खोलता तो गिल्लू अपने झूले से उतरकर दौड़ता,

 

 

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