vartman shiksha aur bhavishya essay .........

मित्र हम इस विषय पर आरंभ करके दे रहे हैं। इसे स्वयं पूरा कीजिए-
शिक्षा का कार्य है मनुष्य में मानवता, प्रेम, प्यार और सद्भावना को उत्पन्न करना। परन्तु यदि यही रतन जीवन को विष के समान बना दे, तो ऐसी विद्या का न होना ही व्यर्थ है। दूसरे यदि हम यह कहें क्या शिक्षा ही विद्या है?, तो यह बात सही नहीं है। विद्या वह कहलाती है जिसके माध्यम से मनुष्य कुछ सीखता है और उसमें सिद्धहस्त होकर कार्य करता है। विद्या बहुत तरह की हो सकती है। मात्र शिक्षा को विद्या कहलाना उचित नहीं होगा। विद्याएँ बहुत तरह की होती है जिनमें शिक्षा की आवश्यकता नहीं होती है; जैसे गहने बनाना, बर्तन बनाना, फनीचर बनाना, वैद्य, व्यापार का कार्य इत्यादि। इसे हम अपने अनुभवों और बड़ों की देख-रेख में सीखते हैं।वर्तमान समय में शिक्षा ज्ञान अर्जित करने के लिए नहीं बल्कि जीविका के अच्छे साधन तलाशने का निमित मात्र बनकर रह गई है परन्तु यह जरूरी नहीं कि वह अकेली ऐसी विद्या है, जिससे जीविका मिल सके। .........

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 essay on vartman shiksha aur bhavishya shiksha

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