VIDHYALAY KA VARSHIKOTSAV kai barai meim nibandh likhiye
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हमारे विद्यालय में कुछ दिन पहले विद्यालय का वार्षिकोत्सव था। इस वार्षिकोत्सव का स्मरण आते ही हृदय प्रसन्नता से भर जाता है। प्रधानाचार्य जी द्वारा प्रार्थना सभा में घोषण की गई कि 12 अप्रैल, 2010 को हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। समारोह से पन्द्रह दिन पहले से ही हमारे विद्यालय में इस आयोजन की तैयारियाँ आरम्भ हो गईं। हिन्दी के अध्यापक कपिल वर्मा को सर्वसम्मति से प्रभारी (इंचार्ज) नियुक्त किया गया। वर्मा जी ने बच्चों को एकत्र कर उन्हें उनके कौशल के आधार पर अलग-अलग कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने के लिए बाँट दिया। उन्होंने कुछ विद्यार्थियों को नृत्य प्रस्तुत करने के लिए, कुछ विद्यार्थियों को नृत्य-नाटिका और कुछ को अंताक्षरी प्रतियोगिता के लिए तैयार किया।
वार्षिकोत्सव का 12 नवम्बर, 2010 का नियत दिन आखिरकार आ गया। उस समारोह के लिए हमारे क्षेत्र के जिला अध्यक्ष को आंमत्रित किया गया था। एक ऊँचा व बड़ा मंडप बनाया गया। अतिथियों के लिए कुर्सियाँ व टेबलों को लगाया गया। जिला अध्यक्ष के आते ही उनके स्वागत के लिए अभिनन्दन गीत गाया गया। उसके बाद रंगारंग कार्यक्रम का सिलसिला प्रारम्भ हो गया। सर्वप्रथम अभिज्ञानशाकुन्तलम् पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई जिसका आकर्षण व हिन्दी रूपान्तर देखते ही बनता था। सभी दर्शकों व अभिभावकों ने इस नृत्य-नाटिका की सराहना की। लोकनृत्य करने वाले छात्र-छात्राओं ने रंग-बिरंगे सुन्दर परिधान पहने हुए थे जिनकी छटा अलग ही बिखर रही थी।
प्रधानाचार्य जी ने इस उपलक्ष्य पर विद्यालय के द्वारा हुई प्रगति व विद्यालय व बच्चों के विकास के लिए नए कार्यक्रमों की घोषणा भी की। पूरे वर्ष कुछ विशेष बच्चों व अध्यापकों द्वारा किए गए कार्यों की सरहाना की तथा मुख्य अतिथि से उन्हें व सभी बच्चों को पुरस्कार भी दिलवाये गए। इस प्रकार बच्चों द्वारा प्रस्तुत किए गए वार्षिकोत्सव कार्यक्रम ने सारे दर्शकों व बच्चों के अभिभावकों का मन मोह लिया। इस समारोह में वर्मा जी की कार्यकुशलता को खूब सराहा गया। ये वार्षिकोत्सव आज भी मुझे याद आता है। उस आनन्द को भूलना मेरे लिए सम्भव नहीं है।
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढेरों शुभकामनाएँ!