what is difference between  "utpreksha" and"upma" alankar

नमस्कार मित्र,

उपमा अंलकार- साधारण शब्दों में कहें, तो एक वस्तु की दूसरी से समता(समानता) को उपमा अंलकार कहते हैं। जैसे- सीया मुख जैसे चंद्र समाना।

उत्प्रेक्षा अंलकार- इस अंलकार में उपमेय में उपमान की कल्पना या संभावना कर ली जाती है। जैसे- मुख मानो चाँद है।

दोनों के उदाहरण देखने में एक जैसे लगते हैं परन्तु इनमें बहुत अंतर है। सीया का मुख चंद्रमा के जैसे बताया गया है। अर्थात सीता के मुख की समानता चंद्रमा से की गई है। उत्प्रेक्षा अंलकार में मुख की कल्पना चाँद से की गई है। इन दोनों अलंकारों में जैसे और मानो शब्दों द्वारा अपनी बात को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है और यही इन्हें अलग-अलग अंलकारों में बाँटते हैं। 

उपमा के याचक शब्द है- जैसे, सा, सी, तुल्य, ज्यों, सरिस, के समान इत्यादि। जहाँ यह वाचक शब्द हों, तो यह उपमा अलंकार की ओर संकेत करते हैं।

उत्प्रेक्षा  के याचक शब्द है- मनु, जनु, जनहु, मनहु, जानो इत्यादि। जहाँ यह वाचक शब्द हों, तो यह उत्प्रेक्षा अंलकार की ओर संकेत करते हैं।

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