write a paragraph on nature in hindi

प्रकृति का सौंदर्य जहाँ भी देखो मनोहारी होता है। वह अपनी कोमल और माधुर्य से भरे सौंदर्य से लोगों को आकर्षित करती है। एक कठोर ह्दय व्यक्ति भी उसके प्रेम में दीवाना हो जाता है। यह ऐसा सौंदर्य है जिसे देख लेने मात्र से ही ह्दय आंनदित हो उठता है। प्राचीनकाल से ही मनुष्य प्रकृति से प्रेम करता आया है। जैसे एक स्त्री आभूषणों से स्वयं के सौंदर्य को बढ़ाती है और अपने सौंदर्य में चार चाँद लगा देती है। वैसी ही प्रकृति सूर्य बादल, फूल, पौधे, हवा, पानी, नदियाँ, तालाब, पेड़-पौधों, पहाड़ों से अपने सौंदर्य को चार-चाँद लगाती है। प्रकृति है क्या इन्हीं से मिलकर बना एक नाम है। यदि कोई एक न रहे, तो इसके सौंदर्य फीका पड़ जाए। हर स्थान पर इसका सौंदर्य अलग-अलग होता है। मैदानी इलाकों में यह अलग सौंदर्य को धारण किए हुए होती है, तो पर्वतीय प्रदेशों में इसका सौंदर्य अलग होता है, तो बीहड़ों में भी यह सौंदर्य के रंग बिखेर देती है। प्रकृति के बीच मनुष्य स्वयं को प्रसन्न पाता है। इसकी गोद में वह जीवन के हर सुख और वैभव को भी छोड़ देता है। सुमित्रानंदन पंत ने तो प्रकृति के प्रेम को अपनी कविताओं में उतारा है। कालिदास ने प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन एक प्रेमी के समान किया है।

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