NCERT Solutions for Class 11 Humanities Hindi Chapter 7 गजानन माधव मुक्तिबोध are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for गजानन माधव मुक्तिबोध are extremely popular among class 11 Humanities students for Hindi गजानन माधव मुक्तिबोध Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of class 11 Humanities Hindi Chapter 7 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class 11 Humanities Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.

Page No 88:

Question 1:

लेखक ने कविता को हमारी भारतीय परंपरा का विचित्र परिणाम क्यों कहा है?

Answer:

लेखक के अनुसार एक कवि अपने मन में उठने वाले विचारों को गंभीरता से लेता है। धूप तथा हवा ऐसे स्वाभाविक तत्व हैं, जो कवि के लिए महत्वपूर्ण है। कविता लिखते समय एक कवि अपने इंद्रियों के माध्यम से आंतरिक यात्रा करता है। वह कविता के माध्यम से स्वयं को प्रकट कर पाता है। यही कारण है कि लेखक ने कविता को हमारी भारतीय परंपरा का विचित्र परिणाम कहा है।

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Question 2:

'सौंदर्य में रहस्य न हो तो वह एक खूबसूरत चौखटा है।' व्यक्ति के व्यक्तित्व के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।

Answer:

यह बात सही है कि सौंदर्य में रहस्य न हो, तो वह एक खूबसूरत चौखटा है। उसमें वह आकर्षण नहीं रहता है। उसके अंदर रहस्य का भाव हो, तो उसके सौंदर्य के प्रति आकर्षण हमेशा विद्यमान रहता है। अपनी बात को लेखक कागज़ के माध्यम से स्पष्ट करते हैं। वह कहते हैं कि कोरा कागज़ देखने में अच्छा लगता है। उसमें मर्मवचन लिखा ही न हो, तो उसके सौंदर्य में रहस्य नहीं रहता है। रहस्य सौंदर्य को प्रभावशाली बनाता है। उसमें लोगों की रुचि बनती है। लोग उस रहस्य को सुलझाने में लग जाते हैं।

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Question 3:

'अभिधार्थ एक होते हुए भी ध्वन्यार्थ और व्यंग्यार्थ अलग-अलग हो जाते हैं।' दूरियों के संदर्भ में इसका आशय स्पष्ट कीजिए।

Answer:

यदि हम अभिधार्थ का अर्थ देखें, तो इसका मतलब सामान्य अर्थ होता है। जब हम किसी शब्द का प्रयोग करते हैं, तो कई बार उस शब्द का अर्थ हमारे काम नहीं आता। उसका अर्थ हमारी खास सहायता भी नहीं करता है। यदि हम ध्वन्यार्थ के बारे में कहे, तो इसका अर्थ होता हैः ध्वनि द्वारा अर्थ का पता चलना और व्यंग्यार्थ का अर्थ होता हैः व्यंजना शक्ति के माध्यम से अर्थ मिलना। इसे हम सांकेतिक अर्थ कहते हैं। पाठ में दूरियों का अभिधार्थ फासले से है। लेकिन इसका सांकेतिक अर्थ अंतर है।

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Question 4:

सामान्य-असामान्य तथा साधारण-असाधारण के अंतर को व्यक्ति और लेखक के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।

Answer:

लेखक व्यक्ति को असामान्य तथा असाधारण मानता था। उसके पीछे कारण था। उसके अनुसार जो व्यक्ति अपने एक विचार या कार्य के लिए स्वयं को और अपनों को त्याग सकता है, वह असामान्य तथा असाधारण व्यक्ति है। वह अपने मन से निकलने वाले उग्र आदेशों को निभाने का मनोबल रखता है। ऐसा प्रायः साधारण लोग कर नहीं पाते हैं। वह सांसारिक समझौते करते हैं और एक ही परिपाटी में जीवन बीता देते हैं। ऐसा व्यक्ति ही असामान्य तथा असाधारण होता है।
 
दूसरे लेखक स्वयं को सामान्य तथा साधारण व्यक्ति मानता है। वह अपने मित्र की भांति कुछ न कर सका। उसने कभी अपने मन में विद्यमान उग्र आदेशों को निभा नहीं पाया। सदैव चुप रहा। लेखक यह पाठ में स्पष्ट भी करता है। वह कहता है कि आज समाज में नामी-गिरामी व्यक्ति है। लेकिन अपने मित्र की भांति वह व्यवहार नहीं कर पाया।

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Question 5:

'उसकी पूरी जिंदगी भूल का एक नक्शा है।' इस कथन द्वारा लेखक व्यक्ति के बारे में क्या कहना चाहता है?

Answer:

इस कथन से लेखक व्यक्ति के बारे में बताना चाहता है। व्यक्ति ने अपने जीवन में बहुत प्रयास करे लेकिन हर बार वह असफल रहा। लेखक कहता है कि यह उस व्यक्ति की राय है। व्यक्ति अपने जीवन में छोटी-छोटी सफलता चाहता था लेकिन उसे मिली नहीं। ये बातें व्यक्ति में विषाद भर गई। लेखक को लगता है कि यह सही नहीं है। उसने बहुत प्रयास किए हैं। उसकी भूल उसके प्रयासों की कहानी है। यद्यपि वह सफल नहीं हुआ, तो उसके संर्घषों को अनेदखा नहीं किया जा सकता है। प्रयास करना अधिक महत्वपूर्ण है। प्रायः लोग गिरने के डर से प्रयास नहीं करते हैं। व्यक्ति ने तो एक बार नहीं अनेकों बार प्रयास किए हैं। ये प्रयास बताते हैं कि वह डरा नहीं, उसने साहस नहीं छोड़ा बस प्रयास करता रहा। प्रायः ऐसा लोग नहीं करते हैं। व्यक्ति अपने में पूर्ण है।

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Question 6:

पिछले बीस वर्षों की सबसे महान घटना संयुक्त परिवार का ह्रास है- क्यों और कैसे?

Answer:

पिछले बीस वर्षों में भारत जैसे देश में संयुक्त परिवार का ह्रास हुआ है। यह स्वयं में बहुत बड़ी बात है। संयुक्त परिवार आज के समय में मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक हैं। उसकी सर्वप्रथम शिक्षा, संस्कार, विकास, चरित्र का विकास इत्यादि परिवार के मध्य रहकर ही होता है। आज ऐसा नहीं है। इसके परिणाम हमें अपने आसपास दिखाई दे रहे हैं। इससे मनुष्य को सामाजिक तौर पर ही नहीं अन्य तौर  भी पर नुकसान झेलना पड़ रहा है। लेखक कहता है कि साहित्य और राजनीति ऐसा कोई साधन विकसित नहीं कर पाया है, जिससे संयुक्त परिवार के विघटन को रोक पाए। परिणाम आज वे समाप्त होते जा रहे हैं। इससे समाज को ही नहीं देश को भी नुकसान होगा। यही कारण है लेखक ने इसे पिछले बीस वर्षों में सबसे महान घटना के रूप कहा है।

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Question 7:

इन वर्षों में सबसे बड़ी भूल है, 'राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम न होना' – इस संदर्भ में आप आपने विचार लिखिए।

Answer:

इस संदर्भ में हम लेखक की बात से सहमत है। राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। राजनीति अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए मनुष्य द्वारा की जाती है। यही कारण है कि राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। राजनीति ने समाज को विकास के स्थान पर मतभेद और अशांति इत्यादि ही दी है। आज जातिभेद, आरक्षण आदि बातें राजनीति की देन हैं। यदि राजनीति देश के विकास का कार्य करती, तो भारत की स्थिति ही अलग होती।

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Question 8:

'अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती घर में नहीं, घर के बाहर दी गई।' – इससे लेखक का क्या अभिप्राय है?

Answer:

इससे लेखक का तात्पर्य है कि अन्याय दोनों जगह हो सकता है। वह घर के बाहर भी हो सकता है और घर के अंदर भी हो सकता है। जब अन्याय को चुनौती देने की बात आती है, तो मनुष्य घर के अंदर के अन्याय को चुपचाप सह जाता है। कारण परिवारजन उसके अपने होते हैं। अपनों को चुनौती देने का प्रश्न ही नहीं उठता। उनको चुनौती देने का मतलब है अपने को चुनौती देना। अतः लोग चुप्पी साध लेते हैं। घर के बाहर अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती देना सरल होता है। पूंजीपतियों के विरुद्ध विद्रोह, शासन के विरुद्ध विद्रोह आदि विद्रोह सरलता से खड़े हो जाते हैं।

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Question 9:

जो पुराना है, अब वह लौटकर आ नहीं सकता। लेकिन नए ने पुराने का स्थान नहीं लिया। इस नए और पुराने के अंतर्द्वंद्व को स्पष्ट कीजिए।

Answer:

इस संसार का नियम है कि जो पुराना हो चुका है, वह वापिस नहीं आता। अर्थात जो बातें, विचार, परंपराएँ इत्यादि हैं, वे आज भी हमारे परिवार में दिखाई दे जाती हैं। आज ये सब मात्र अवशेष के रूप में ही शेष रह गई हैं। समय बदल रहा है और नए विचार, बातें तथा परंपराएँ जन्म ले रही हैं। ये जो भी नया आ रहा है, इसने पुराने का स्थान नहीं लिया है। ये अलग से अपनी जगह बना रहे हैं। परिणाम जो पुराना है, वह अपने अस्तित्व के लिए तड़प रहा है और नए का विरोध करता है। इस कारण दोनों में अंतर्द्वंद्व की स्थिति बन गई है। उदाहरण के लिए धर्म हमारी संस्कृति का आधार है। हम लोगों की इस पर बड़ी आस्था है। आज की पीढ़ी वैज्ञानिक दृष्टिकोण लिए हुए है। उसने धर्म को नकार दिया है। चूंकि धर्म हमारी संस्कृति का आधार है। अतः इसे पूर्णरूप से निकालना संभव नहीं है। हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हर बात को परखते हैं लेकिन कई चीज़ें हमारी समझ से परे होती हैं। अतः ये दोनों बातें एक दूसरे से टकरा जाती हैं। हमें उत्तर में कुछ नहीं मिलता है।

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Question 10:

निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-
(क) इस भीषण संघर्ष की हृदय भेदक ............. इसलिए वह असामान्य था।
(ख) लड़के बाहर राजनीति या साहित्य के मैदान में ............. धर के बाहर दी गई।
(ग) इसलिए पुराने सामंती अवशेष बड़े मज़े ......... शिक्षित परिवारों की बात कर रहा हूँ।
(घ) मान-मूल्य, नया इंसान ............ वे धर्म और दर्शन का स्थान न ले सके।

Answer:

(क) लेखक इसमें व्यक्ति के बारे में कहता है। वह कहता है कि व्यक्ति ने बहुत संघर्ष किया है। उस संघर्ष ने उसके व्यक्तित्व को बहुत अजीब-सा बना दिया है। इस संघर्ष से गुजरते वक्त जो भी घटित हुआ, उससे संघर्ष करना व्यक्ति के लिए कठिन था। लेखक कहता है कि इतने संघर्षों से गुजरने के बाद प्रायः लोग संभल नहीं पाते हैं। वे स्वयं को खो देते हैं। लेखक को इस बात से हैरानी होती है कि उस व्यक्ति ने स्वयं को नहीं खोया है। उसने स्वयं के स्वाभिमान को बचाए रखा है। उसने समझौता नहीं किया है। वह लड़ा है और इस लड़ाई में स्वयं को बचाए रखना उसके असामान्य होने का प्रमाण है।
 
 (ख) लेखक के अनुसार आज की युवापीढ़ी के स्वभाव में अंतर हैं। वे घर से बाहर साहित्य और राजनीति की अनेकों बातें करते हैं। उसके बारे में सोचते हैं और करते भी हैं। जब यह बात घर की आती है, तो उनका व्यवहार बदल जाता है। अन्याय दोनों जगह हो सकता है। वह घर के बाहर भी हो सकता है और घर के अंदर भी हो सकता है। जब अन्याय को चुनौती देने की बात आती है, तो मनुष्य घर के अंदर के अन्याय को चुपचाप सह जाता है। कारण घर के लोग उसके अपने होते हैं। अपनों को चुनौती देने का प्रश्न ही नहीं उठता। उनको चुनौती देने का मतलब है अपने को चुनौती देना। अतः लोग चुप्पी साध लेते हैं। घर के बाहर अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती देना सरल होता है। पूंजीपतियों के विरुद्ध विद्रोह, शासन के विरुद्ध विद्रोह आदि विद्रोह सरलता से खड़े हो जाते हैं। जब समाज की बात आती है, तो उनके मुँह में ताले लग जाते हैं।
 
(ग) लेखक कहना चाहता है कि इस संसार का नियम है कि जो पुराना हो चुका है, वह वापिस नहीं आता। अर्थात जो बातें, विचार, परंपराएँ इत्यादि हैं, वे आज भी हमारे परिवार में दिखाई दे जाती हैं। वे मात्र उनके अवशेष के रूप में विद्यमान हैं। समय बदल रहा है और नए विचार, बातें तथा परंपराएँ जन्म ले रही हैं। ये जो भी नया आ रहा है, इसने पुराने का स्थान नहीं लिया है। ये अलग से अपनी जगह बना रहे हैं। परिणाम जो पुराना है, वह अपने अस्तित्व के लिए तड़प रहा है और नए का विरोध करता है। इस कारण दोनों में अंतर्द्वंद्व की स्थिति बन गई है। उदाहरण के लिए धर्म हमारी संस्कृति का आधार है। हम लोगों की इस पर बड़ी आस्था है। आज की पीढ़ी वैज्ञानिक दृष्टिकोण लिए हुए है। उसने धर्म को नकार दिया है। चूंकि धर्म हमारी संस्कृति का आधार है। अतः इसे पूर्णरूप से निकालना संभव नहीं है। हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हर बात को परखते हैं लेकिन कई चीज़ें हमारी समझ से परे होती हैं, तो हम उसे धर्म के क्षेत्र में लाकर खड़ा कर देते हैं। हमने धार्मिक भावना को तो छोड़ दिया है लेकिन वैज्ञानिक बुद्धि का सही से प्रयोग करना नहीं सीखा है। हम इसके लिए न प्रयास करते हैं और न हमें ज़रूरत महसूस होती है। ये दोनों बातें एक दूसरे से टकरा जाती हैं। हमें उत्तर में कुछ नहीं मिलता है। प्रायः यह स्थिति शिक्षित परिवारों में देखने को मिलती हैं।
 
 (घ) लेखक के अनुसार नए की पुकार हम लगाते हैं लेकिन नया है क्या इस विषय में हमारी जानकारी शून्य के बराबर है। हमने सोचा ही नहीं है कि यह नया मान-मूल्य हो, एक नया मनुष्य हो या क्या हो? जब हम यह नहीं जान पाए, तो जो स्वरूप उभरा था, वह भी शून्यता के कारण मिट गया। उनको दृढ़ तथा नए जीवन, नए मानसिक सत्ता का रूप धारण करना था पर वे प्रश्नों के उत्तर न होने के कारण समाप्त हो गए। वे हमारे धर्म और दर्शन का स्थान नहीं ले सके। वे इनका स्थान तभी ले पाते जब हम इन विषयों पर अधिक सोचते।



Page No 89:

Question 11:

निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) सांसारिक समझौते से ज़्यादा विनाशक कोई चीज़ नहीं।
(ख) बुलबुल भी यह चाहती है कि वह उल्लू क्यों न हुई!
(ग) मैं परिवर्तन के परिणामों को देखने का आदी था, परिवर्तन की प्रक्रिया को नहीं।
(घ) जो पुराना है, अब वह लौटकर आ नहीं सकता।

Answer:

(क) लेखक के अनुसार मनुष्य जीवन में समझौते करता है। ये समझौते करना उचित नहीं है। एक या दो समझौते हों, तो किया जा सकता है पर हर बार समझौते करना भयानक स्थिति को पैदा कर देता है। समझौतावादी दृष्टिकोण पलायन की स्थिति है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें लड़ना चाहिए तभी हम अपने अस्तित्व को एक ठोस धरातल दे पाएँगे।

(ख) इसका अभिप्राय है कि हमें अपने से अधिक दूसरे अच्छे लगते हैं। हम दूसरे से प्रभावित होकर वैसा बनना चाहते हैं। हम स्वयं को नहीं देखते हैं। अपने गुणों पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता है।

(ग) लेखक कहता है कि मेरे सामने बहुत बदलाव हुए। मैंने उन बदलावों से हुए परिणाम देखें। अर्थात यह देखा कि बदलाव हुआ, तो उसका लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा। इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि जब बदलाव हो रहे तो वह क्यों और कैसे हो रहे थे? इस प्रक्रिया पर मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया।

(घ) जो समय बीत गया है, उसे हम लौटाकर नहीं ला सकते हैं। जो चला गया, वह चला गया।

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Question 1:

'विकास की ओर बढ़ते चरण और बिखरते मानव-मूल्य' विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।

Answer:

पहले हमें यह समझना होगा कि मानव मूल्य होते क्या हैं? उत्तर है; सत्य, ईमानदारी, आत्मनिर्भरता, निडरता, मानवता, प्रेम, भाईचारा, दृढ़ता इत्यादि मानव मूल्य हैं। ये ऐसे मूल्य हैं, जो हमें जीवन में सही प्रकार से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। आज समय बदल रहा है। आज मनुष्य में इनकी कमी मिल रही है। हमारा कार्य है कि बच्चों में इन गुणों का विकास करना ताकि वे स्वयं को व मानवता को सही रास्ते में ले जा सके। विडंबना है कि ये हमारे जीवन से धुंधले हो रहे हैं। विकास के बढ़ते चरणों के कारण इनका क्षरण हो रहा है। अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए हम किसी भी हद तक गिर रहे हैं। ये इस बात का संकेत है कि समाज की स्थिति कितनी हद तक गिर चुकी है। चोरी, डकैती, हत्याएँ, धोखा-धड़ी, जालसाज़ी, बेईमानी, झूठ, बड़ों का अनादर, गंदी आदतें इत्यादि मूल्यों में आई कमी का परिणाम हैं। हमें चाहिए की मूल्य को पहचाने और इसे अपने जीवन में विशेष स्थान दें। जिस तरह मनुष्य को जीने के लिए हवा, पानी और भोजन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मनुष्य को इन मूल्यों की भी आवश्यकता है। इनके बिना मनुष्य जानवर के समान है।

Page No 89:

Question 2:

'आधुनिकता की इस दौड़ में हमने क्या खोया है और क्या पाया है?'- अपने विद्यालय की पत्रिका के लिए इस विषय पर अध्यापकों का साक्षात्कार लीजिए।

Answer:

इस कार्य को विद्यार्थी स्वयं करें।

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Question 3:

'सौंदर्य में रहस्य न हो तो वह एक खूबसूरत चौखटा है।' लेखक के इस वाक्य को केंद्र में रखते हुए 'सौंदर्य क्या है' इस पर चर्चा करें।

Answer:

जो वस्तु, चेहरा या दृश्य हमारे ह्दय और मन को आनंदित करता है, उसे हम सौंदर्य कहते हैं। एक चेहरे में व्यक्ति की आँखें, नाक, होंठ, मुस्कान इत्यादि उसके सौंदर्य का प्रतीक हैं। प्रकृति में नदी, बादल, पर्वत, हरियाली, पेड़, फूल-पत्ते इत्यादि उसके सौंदर्य का प्रतीक हैं। काव्य में अलंकार, छंद, रस, वाक्य विन्यास उसके सौंदर्य का प्रतीक हैं। एक वस्त्र में बारीक काम, कड़ाई, रंगाई उसके सौंदर्य का प्रतीक है। ऐसे ही चित्र में आकार, प्रकार, रंग, कल्पना चित्र के सौंदर्य का प्रतीक है। इन सबसे सौंदर्य जन्म लेता है। यह निर्भर करता है कि मनुष्य को कौन-सी बात आनंदित करती है। वह बस सौंदर्यशाली बन जाता है। उदाहरण के लिए रंग से काले व्यक्ति का व्यक्तित्व किसी के लिए उसका सौंदर्य है। अतः सौंदर्य की परिभाषा विशाल है। आप जितना इसमें गोते लगाएँगे, उतना उलझते जाएँगे।



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