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हमारे मन में सदैव यह प्रश्न उठता है कि वर्ण क्या है?, वर्ण किसे कहा जाता है? इन सबका एक ही उत्तर है, "ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए जो निशान (चिह्न) बनाए गए हैं, वह वर्ण कहलाते हैं।"
हमारे मुँह से निकली प्रत्येक ध्वनि के लिखित (लिखने वाले) लिपि चिह्न (निशान) वर्ण कहलाते हैं; जैसे – अ, आ, इ, ई, क, ख, ग, घ आदि।
यह वर्ण किसी भी भाषा के मुख्य भाग हैं। इनको सीखे बिना हम लिख नहीं सकते।
उदाहरण के लिए –
इन तीनों वर्णों के संयोग से 'आम' शब्द बना है। अब प्रश्न यह उठता है कि वर्णमाला किसे कहते हैं? इन्हीं ध्वनियों के लिखित लिपि चिह्न को जब हम सही प्रकार से क्रम में लगाते हैं तो उन्हें वर्णमाला कहते हैं। उदाहरण के लिए यदि 1 से 10 तक गिनती क्रम से न लिखी जाए तो क्या होगा? आप कभी सही गिनती नहीं जान पाएँगे। क्या गिनती को ऐसे बोला जाए – 1, 4, 2, 3, 5, 10, 8, 7, 6, 9 तो जवाब होगा नहीं क्योंकि यह सही क्रम नहीं है।
इसलिए इन्हें क्रम से लगाया जाता है; जैसे – 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10
उसी प्रकार वर्णों को क्रमागत किया जाता है? इस आधार पर वर्णमाला की परिभाषा होगी–
वर्णों के सही ढंग से लगाया गया समूह वर्णमाला कहलाता है।
हिंदी की वर्णमाला को मानक देवनागरी वर्णमाला कहा जाता है। यह हमारी वर्णमाला है–
इनके अलावा हिंदी भाषा में और भी कुछ ध्वनियाँ हैं जैसे –
अनुस्वार (अं)– जिस वर्ण के उच्चारण में हवा सिर्फ नाक के रास्ते आए, उसे अनुस्वार कहते हैं। इसके लिए केवल बिंदु (ं) लगाया जाता है; जैसे–
अनुनासिक (अँ) – अनुनासिक ध्वनियों में हवा नाक और मुँह दोनों से निकलती है। इसके लिए चंद्र बिंदु (ँ) लगाया जाता है; जैसे –
विसर्ग (अ:) – विसर्ग का प्रयोग 'ह' के समान होता है। यह संस्कृत से लिया गया है। अत: इसे उसी तरह प्रयोग करते हैं; जैसे – अत:, प्राय: इत्यादि।
वर्ण दो प्रकार के होते हैं – 1. स्वर तथा 2. व्यंजन।
1. स्वर वे ध्वनियाँ कहलाती हैं, जिनके उच्चारण के समय हवा बिना किसी रुकावट के मुख से निकलती है। इनकी संख्या 11 है –
जहाँ एक ओर ये स्वतंत्र रूप से प्रयोग में लाई जाती है, वहीं दूसरी ओर इनका प्रयोग मात्राओं के रूप में भी किया जाता है। उदाहरण के लिए–
स्वतंत्र रूप से ध्वनियों का प्रयोग –
वहीं दूसरी ओर मात्राओं के रूप में भी इनका प्रयोग होता है; जैसे–
मात्राओं को समझने के लिए मात्राओं की तालिका देखें–
2. जो वर्ण बिना स्वरों की सहायता के न बोले जा सके, जिन वर्णों को बोलते समय हवा को मुँह में अलग-अलग स्थानों पर रोकना पड़े, वे व्यंजन वर्ण कहलाते हैं। हिंदी में 33 व्यंजन होते हैं।
यह याद रहे कि हमेशा 'अ' स्वर व्यंजन के अंदर मिला रहता है।
जैसे – चल = च् + अ + ल् + अ
इसका यह कारण है कि हर व्यंजन आधा होता है। इसलिए नीचे उसमें हलन्त् (्) लगाकर उसको आधा दिखाया गया है तथा साथ में स्वर भी दिखाया जा रहा है। इन दोनों के मेल से पूरा व्यंजन बनता है; जैसे –
इसी तरह व्यंजनों की पूरी तालिका बनती है।
भाषा में र् के विभिन्न प्रयोग होते हैं। वैसे तो र् स्वयं में एक व्यंजन है परंतु इसको मिलाकर कुछ शब्दों को बनाया जाता है; जैसे –
1.
आपने देखा कि 'य' व्यंजन से पहले 'र्' लगाने पर वह 'य' के ऊपर (र्य) आ जाता है। इस तरह के बहुत से शब्द होते हैं; जैसे – आर्य, पर्व, दर्शन इत्यादि।
2. दूसरा प्रयोग
आपने देखा कि 'ड' के बाद 'र्' शब्द लगाने के पश्चात् वह ड के नीचे (ड्र) लग जाता है। ऐसे ही 'ट' शब्द के साथ 'र्' मिलने से शब्द बनते हैं – ट्रक, ट्रेन इत्यादि।
3. तीसरा प्रयोग
4. चौथा प्रयोग
'र्' के साथ छोटा 'उ' लगने पर 'रु' होता है; जैसे – रुपया।
'र्' के साथ बड़ा 'ऊ' लगने पर 'रू' होता है; जैसे – रूप।
यदि आप ध्यान से देखेंगे तो पाएँगे कि हर शब्द में स्वर और व्यंजन छिपे होते हैं। हमारे द्वारा शब्दों के किए गए टुकड़े ही वर्ण-विच्छेद कहलाते हैं; जैसे–
कम = क् + अ + म् + अ
नच = न् + अ + च् + अ
हमने आपको बताया है कि हर व्यंजन के साथ 'अ' स्वर मिला होता है। अत: दो व्यंजन वाले शब्दों का विच्छेद ऊपर दिए विच्छेद की तरह होगा। लेकिन जिन शब्दों में मात्राओं का प्रयोग होता है। उसका एक-एक उदाहरण हमारे द्वारा दी गई मात्राओं की तालिका में देखें।
ऊपर दी जानकारी से आपको वर्णों को समझने में आसानी होगी। इस तालिका से आपको पता चलेगा कि स्वरों व व्यंजनों के मिलने से शब्दों का निर्माण कैसे किया जाता है। यह बात हम आपको फिर से बताना चाहेंगे कि ऊपर दी तालिका में 'अ' स्वर से शब्दों का निर्माण नहीं दिखाया गया है। क्योंकि 'अ' स्वर हर व्यंजन में मिला हुआ रहता है।
कुछ व्यंजन को बोलते समय दो व्यंजनों की आवाज़ आती है; जैसे:- क्ष इस शब्द में क् + ष् दो व्यंजन होते हैं, जिस व्यंजन में दो व्यंजनों का जोड़ होता है, वह संयुक्त व्यंजन कहलाता है।
जैसे:-
संयुक्त व्यंजन के योग से बने शब्दों की तालिका देखें–
आपने देखा कि एक ही शब्द के अंदर एक से अधिक व्यंजन थे। अत: ये संयुक्त व्यंजन हैं। अब आपको ऐसे शब्दों के बारे में बताते हैं, जिनमें दो व्यंजन आपस में मिले हुए दिखाई देते हैं। जैसे:- व्यय शब्द में व् ओर य मिला हुआ है। ऐसे शब्द भी संयुक्त व्यंजन कहे जाते हैं। इस शब्द में व् आधा है और य पूरा है। नीचे दी गई तालिका को ध्यान से देखें–
इसी तरह जब एक ही व्यंजन ध्वनि अपने जैसे अन्य व्यंजन ध्वनि से जुड़ती है, तो उसे द्वित्व व्यंजन कहते हैं; जैसे -
1. |
बिल्ली |
– |
ब् + इ + ल् + ल् + ई |
2. |
मिट्टी |
– |
म् + इ + ट् + ट् + ई |
3. |
खट्टा |
– |
ख् + अ + ट् + ट् + आ |
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