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Eshita Rastogi
Subject: Hindi
, asked on 1/3/18
Give meaning of the following word:
आर्द्र कंठ
Answer
2
Eshita Rastogi
Subject: Hindi
, asked on 1/3/18
Answer the following:
झेंप-भरी फीकी मुसकराहट
Answer
1
Ms Eccentric
Subject: Hindi
, asked on 1/3/18
Baghu ka Arth ??
उस गाँव का भागो नामक रईस बड़ा मालदार था।
Answer
3
Ms Eccentric
Subject: Hindi
, asked on 13/2/18
Solve this:
मुहावरों का अर्थ
अलख जगाना
Answer
1
Sanjiv Iyer
Subject: Hindi
, asked on 13/1/18
doordarshan karyakram o shiksha prad banane ke liye doordarshan nideshak ko patra likhiye in hindi
Answer
1
Hoori
Subject: Hindi
, asked on 4/9/17
dear experts pls answer all questions soo n no links pls
ख – निम्नलिखित का निर्देशानुसार वाक्य रूपांतरण करें –
अ – मेहनत करने वाले लोगों की सब तारीफ़ करते हैं। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
ब – जब मैंने उसे समझाया, तब वह तुरंत मान गई। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
Answer
1
Swagat Sinha
Subject: Hindi
, asked on 4/8/17
Yah konsa bhasha mai. Likha hai aur iska chand kya hai
Answer
1
Ryan Fernandes
Subject: Hindi
, asked on 15/7/17
डेंगू रनग के बढ़िे के कारण नचोंता व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य मोंत्री कन पत्र निस्तखए |
Answer
2
Ryan Fernandes
Subject: Hindi
, asked on 15/7/17
अपिे प्रधािाचार्य कन छात्रवृनत के निए एक आवेर्थि पत्र निस्तखए |
Answer
1
Fatima Reefat
Subject: Hindi
, asked on 14/7/17
Plz help me out in this =)
निम्न वाक्यों में साधारण, मिश्रित व संयुक्त वाक्य का चयन कीजिए-
1. जो विद्वान् होता है, उसे सभी आदर देते हैं।
2. मैं चाहता हूँ कि तुम परिश्रम करो।
3. जब राजा नगर में आया, तब उत्सव मनाया गया।
4. अपना काम देखो या शांत बैठे रहो।
5. वह पुस्तक खरीदने के लिए दुकान पर गया।
Answer
1
Abhishek
Subject: Hindi
, asked on 14/7/17
Give meaning
सिक्योरिटी
वार्तालाप
चुनिंदा
निरीक्षक
अन्वेषण
गतिविधि
वक्तव्य
Answer
1
Rahul Thapa
Subject: Hindi
, asked on 7/7/17
Please explain me.
कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा। को नहि जान बिदित संसारा।।
माता पितहि उरिन भए नीकें। गुर रिनु रहा सोचु बड़ जीकें।।
सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा। दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा।।
अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली। तुरत देउँ मैं थैली खोली।।
सुनि कटु बचन कुठार सुधारा। हाय हाय सब सभा पुकारा।।
भृगुबर परसु देखावहु मोही। बिप्र बिचारि बचउँ नृपद्रोही।।
मिले न कबहुँ सुभट रन गाढ़े। द्विज देवता घरहि के बाढ़े।।
अनुचित कहि सब लोग पुकारे। रघुपति सयनहिं लखनु नेवारे।।
Answer
1
Rahul Thapa
Subject: Hindi
, asked on 7/7/17
Please explain me.
तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा॥
सुनत लखन के बचन कठोरा। परसु सुधारि धरेउ कर घोरा॥
अब जनि देइ दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालकु बधजोगू॥
बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा। अब यहु मरनिहार भा साँचा॥
कौसिक कहा छमिअ अपराधू। बाल दोष गुन गनहिं न साधू॥
खर कुठार मैं अकरुन कोही। आगें अपराधी गुरुद्रोही॥
उतर देत छोड़उँ बिनु मारें। केवल कौसिक सील तुम्हारें॥
न त एहि काटि कुठार कठोरें। गुरहि उरिन होतेउँ श्रम थोरें॥
गाधिसूनु कह हृदयँ हँसि मुनिहि हरिअरइ सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ॥
Answer
1
Rahul Thapa
Subject: Hindi
, asked on 7/7/17
Please explain me.
कौसिक सुनहु मंद यहु बालकु। कुटिल कालबस निज कुल घालकु॥
भानु बंस राकेस कलंकू। निपट निरंकुस अबुध असंकू॥
काल कवलु होइहि छन माहीं। कहउँ पुकारि खोरि मोहि नाहीं॥
तुम्ह हटकहु जौं चहहु उबारा। कहि प्रतापु बलु रोषु हमारा॥
लखन कहेउ मुनि सुजसु तुम्हारा। तुम्हहि अछत को बरनै पारा॥
अपने मुँह तुम्ह आपनि करनी। बार अनेक भाँति बहु बरनी॥
नहिं संतोषु त पुनि कछु कहहू। जनि रिस रोकि दुसह दुख सहहू॥
बीरब्रती तुम्ह धीर अछोभा। गारी देत न पावहु सोभा॥
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।
बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु॥
Answer
1
Rahul Thapa
Subject: Hindi
, asked on 7/7/17
Please explain me.
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महा भटमानी॥
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू॥
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहउँ रिस रोकी॥
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरें कुल इन्ह पर न सुराई॥
बधें पापु अपकीरति हारें। मारतहूँ पा परिअ तुम्हारें॥
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा॥
जो बिलोकि अनुचित कहेउँ छमहु महामुनि धीर।
सुनि सरोष भृगुबंसमनि बोले गिरा गभीर॥
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आर्द्र कंठ
झेंप-भरी फीकी मुसकराहट
Baghu ka Arth ??
उस गाँव का भागो नामक रईस बड़ा मालदार था।
मुहावरों का अर्थ
अलख जगाना
ख – निम्नलिखित का निर्देशानुसार वाक्य रूपांतरण करें –
अ – मेहनत करने वाले लोगों की सब तारीफ़ करते हैं। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
ब – जब मैंने उसे समझाया, तब वह तुरंत मान गई। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
निम्न वाक्यों में साधारण, मिश्रित व संयुक्त वाक्य का चयन कीजिए-
1. जो विद्वान् होता है, उसे सभी आदर देते हैं।
2. मैं चाहता हूँ कि तुम परिश्रम करो।
3. जब राजा नगर में आया, तब उत्सव मनाया गया।
4. अपना काम देखो या शांत बैठे रहो।
5. वह पुस्तक खरीदने के लिए दुकान पर गया।
सिक्योरिटी
वार्तालाप
चुनिंदा
निरीक्षक
अन्वेषण
गतिविधि
वक्तव्य
कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा। को नहि जान बिदित संसारा।।
माता पितहि उरिन भए नीकें। गुर रिनु रहा सोचु बड़ जीकें।।
सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा। दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा।।
अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली। तुरत देउँ मैं थैली खोली।।
सुनि कटु बचन कुठार सुधारा। हाय हाय सब सभा पुकारा।।
भृगुबर परसु देखावहु मोही। बिप्र बिचारि बचउँ नृपद्रोही।।
मिले न कबहुँ सुभट रन गाढ़े। द्विज देवता घरहि के बाढ़े।।
अनुचित कहि सब लोग पुकारे। रघुपति सयनहिं लखनु नेवारे।।
तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा॥
सुनत लखन के बचन कठोरा। परसु सुधारि धरेउ कर घोरा॥
अब जनि देइ दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालकु बधजोगू॥
बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा। अब यहु मरनिहार भा साँचा॥
कौसिक कहा छमिअ अपराधू। बाल दोष गुन गनहिं न साधू॥
खर कुठार मैं अकरुन कोही। आगें अपराधी गुरुद्रोही॥
उतर देत छोड़उँ बिनु मारें। केवल कौसिक सील तुम्हारें॥
न त एहि काटि कुठार कठोरें। गुरहि उरिन होतेउँ श्रम थोरें॥
गाधिसूनु कह हृदयँ हँसि मुनिहि हरिअरइ सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ॥
कौसिक सुनहु मंद यहु बालकु। कुटिल कालबस निज कुल घालकु॥
भानु बंस राकेस कलंकू। निपट निरंकुस अबुध असंकू॥
काल कवलु होइहि छन माहीं। कहउँ पुकारि खोरि मोहि नाहीं॥
तुम्ह हटकहु जौं चहहु उबारा। कहि प्रतापु बलु रोषु हमारा॥
लखन कहेउ मुनि सुजसु तुम्हारा। तुम्हहि अछत को बरनै पारा॥
अपने मुँह तुम्ह आपनि करनी। बार अनेक भाँति बहु बरनी॥
नहिं संतोषु त पुनि कछु कहहू। जनि रिस रोकि दुसह दुख सहहू॥
बीरब्रती तुम्ह धीर अछोभा। गारी देत न पावहु सोभा॥
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।
बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु॥
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महा भटमानी॥
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू॥
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहउँ रिस रोकी॥
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरें कुल इन्ह पर न सुराई॥
बधें पापु अपकीरति हारें। मारतहूँ पा परिअ तुम्हारें॥
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा॥
जो बिलोकि अनुचित कहेउँ छमहु महामुनि धीर।
सुनि सरोष भृगुबंसमनि बोले गिरा गभीर॥