Subject: Hindi, asked on 22/7/22

Subject: Hindi, asked on 21/7/22

Subject: Hindi, asked on 21/7/22

Subject: Hindi, asked on 29/1/22

Subject: Hindi, asked on 28/10/21

Subject: Hindi, asked on 12/10/21

Subject: Hindi, asked on 12/10/21

Subject: Hindi, asked on 12/10/21

Subject: Hindi, asked on 8/9/21

बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुज़र रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है, कभी लगता की सीट को छोड़कर बॉडी आगे भागी जा रही है। आठ दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है।
क-दिए गए गद्यांश में लेखक असहयोग आंदोलन तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन की व्याख्या क्यों कर रहा है? स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
ख-बस सचमुच चल पड़ी। कहते हुए लेखक आश्चर्य का भाव क्यों प्रकट कर रहा है?
ग-सविनय अवज्ञा तथा असहयोग शब्द की अर्थ की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
PLS WRITE FAST

Subject: Hindi, asked on 20/8/21

Subject: Hindi, asked on 18/8/21

Subject: Hindi, asked on 2/8/21

Subject: Hindi, asked on 28/7/21

What are you looking for?