पद परिचय kay ha?

नमस्कार मित्र,

पद का परिचय- शब्द वाक्य का मुख्य स्रोत है। इनके बिना वाक्य की कल्पना नहीं की जा सकती है।जब इसका (शब्द) वाक्य में प्रयोग होता है, तब यह पद कहलाता है। वाक्य में पद कहलाने के पीछे भी एक कारण है। वह इस प्रकार है; एक शब्द का जब वाक्य में प्रयोग होता है, तो वह व्याकरण के नियमों से पूरी तरह बंध जाता है और यहाँ आकर उसका अस्तित्व बदल जाता है। नियमों में बंधा शब्द पद का रूप धारण कर लेता है। अब वह स्वतंत्र नहीं होता। अब वह वाक्य के क्रिया, लिंग, वचन और कारक के नियमों से अनुशासित होता है। 

पद-परिचय से संबंधित आवश्यक बातें- वाक्य में प्रयुक्त शब्द जब पद बन जाता है, तब इसी पद का परिचय दिया जाता है। पद-परिचय व्याकरणिक ज्ञान के आधार पर दिया जाता है। पद का सही परिचय देने के लिए आवश्यक है कि हमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, कारक, अव्यय, लिंग, क्रिया, वचन इत्यादि का सही और पूरा ज्ञान हो। इस तरह हम उस पद का सही परिचय दे पाएँगे। पद-परिचय देते समय आवश्यक बातों का ध्यान रखना परम आवश्यक है। यदि इन बातों का ध्यान रखा जाए, तो पद-परिचय देना सरल हो जाता है।

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