1.adarsh aur yavahar ka samaj mein kes prakar prayog karna chahiye?

2.japan ki sthitiyan abb bharat mein bhi payda ho rahi hein.spasht kejiyen?

मित्र आदर्श और व्यवहार समाज में प्रयोग करने की वस्तु नहीं है। ये दोनों हमारे स्वभाव से संबंधित होते हैं। जब हम किसी से इतना प्रभावित होते हैं कि उसके नक्शे-कदम पर चलने लगते हैं, तब हम कहते हैं कि वह हमारा आदर्श है और उसके समान किए गए हमारे कार्य हमारे व्यवहार का हिस्सा बन जाते हैं। कई बार लोगों को कहते सुना है कि हम आदर्शवादी है। अब प्रश्न उठता है कि हम कैसे कहें कि हम आदर्शवादी हैं जैसे- हम झूठ नहीं बोलते, किसी को धोखा नहीं देते, हिंसा से दूर रहते हैं, प्रेम और स्नेह से सबके साथ व्यवहार करते हैं और अपने विरोधियों को भी प्रेम और समर्पण से झूका देते हैं, तो ये हमारे आदर्श हैं और इन पर चलने के कारण हम आदर्शवादी बन जाते हैं। हमारे हाव-भाव, बोलचाल, आदर्श, प्रतिक्रिया सभी हमारे व्यवहार का हिस्सा हैं। अतः हमारे आदर्श अच्छे हैं, तो वे हमारे व्यवहार में सम्मलिति हो जाएँगे।

दूसरे प्रश्न का उत्तर आप स्वयं इसी तरह दीजिए।

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