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मित्र

परंपरा से विशेष अर्थ के लिए प्रयोग किए जाने वाले रूढ़ शब्दों को मूल शब्द इसलिए कहा जाता है क्योंकि  इन शब्दों का यदि हम विच्छेद कर दें, तो इनका कोई सार्थक अर्थ नहीं निकलेगा अर्थात इनका सार्थक खंड नहीं किया जा सकता:- जैसे कुर्सी, फूल, दिन, सेना इत्यादि। मूल शब्द वे होते हैं, जो किसी दूसरे शब्द या शब्दांश से नहीं बने होते हैं। मूल शब्द अपने आप में पूर्ण होते हैं। अपने आप में सार्थक अर्थ लिए हुए होते हैं किंतु इनको खंड करने पर सार्थक अर्थ नहीं निकलता।

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