A summary of this chapter please - kis Tarah aakhirkar mein Hindi mein Aaya

मित्र, किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया' इस पाठ के माध्यम से लेखक शमशेर बहादुर जी ने अपने हिन्दी लेखन में आने की घटनाओं का उल्लेख किया है। बहादुर जी के अनुसार लेखन में उनका कोई विशेष झुकाव नहीं था और हिन्दी में तो बिलकुल नहीं था। वह दिल्ली में चित्रकारी सीखा करते थे। अपनी पत्नी की मृत्यु से आहत, वह यहाँ-वहाँ भागा करते थे। अंग्रेज़ी और उर्दू भाषा में वह थोड़ा बहुत लिख लिया करते थे लेकिन लेखन क्षेत्र में वह कुछ करेंगे ऐसा कभी सोचा नहीं था। हरिवंश राय 'बच्चन' के अथक प्रयास के कारण ही वह हिन्दी के क्षेत्र में आए। पंत जी और निराला जी ने भी उनको सहयोग दिया। धीरे-धीरे हिन्दी की तरफ़ उनका झुकाव आरम्भ हुआ और आगे चलकर उन्होंने हिन्दी में लिखना आरम्भ किया।

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