a vyangatmk leekh on :mhengai,bhrashtachar,aaj ka neta,bhartiya naari...
मित्र हम सभी विषयों पर आपको लेख लिखकर नहीं भेज सकते हैं। आपकी सहायता के लिए मैं आज के नेता पर एक लेख लिखकर भेज रही हूँ। इस आधार पर स्वयं लिखने का प्रयास करें-
मैं प्राय: सोचता था कि मैं एक नेता बनूँगा। देश का विकास करूँगा। यही सोचकर मैं चल पड़ा एक प्रसिद्ध पार्टी के नेता से मिलने। नेताजी के घर मैं देखा एक दरबान खड़ा था, हाथ में लेकर बंदूक तना था। मैंने कहा जनाब नेता साहब अंदर हैं। वह बोला "क्या काम है?" दिखते तो तुम शरीफ आदमी हो, फिर यहाँ का रास्ता कैसे याद आया? किसी का खून किया है, किसी का धन हड़पा है या फिर किसी को फंसाना है, किसी को मारना है, घोटाला करवाना है या दंगे करवाना है। मैंने कहा- "न भाई मैं इन सबसे दूर रहता हूँ, ऐसे कामों को दूर से नमन करता हूँ।" दरबान हँसा और फिर बोला अरे! तो भाई फिर तुम गलत आ गए। जाओ-जाओ कहीं और जाओ। मैं बोला नहीं भाई यहीं आना था, सही आया हूँ। देश का ख्याल आया, सेवा का भाव आया इसलिए नेताजी के पास आया हूँ। वह बोला देश का ख्याल है, तो सेना में जा और ख्याल कर। सेवा का भाव है, तो किसी सेवा संस्था में जा और सेवा कर। पर यहाँ आना है, तो ये भाव बाहर छोड़कर आना। वरना तेरा हाल कुछ मेरे जैसा होगा और तू भी एक दिन दरबान जैसे खड़ा होगा। वह समय और था जब लोग देश की सेवा करते थे, ये समय और हैं जब वे अपनी सेवा करते हैं। पहले गुंडे सारे गंदे काम किया करते थे, अब आज के नेता ये काम किया करते हैं। मेरे मन में भय उत्पन्न हुआ और अपनी साइकिल पकड़कर में पतली गली हुआ। देश की सेवा का भाव दर किनार कर मैं घर की ओर हुआ।