Aaj un bahon ka dabaav Mai apni chaati par mehsoos karta hoon ka aashya spasht kijiye

मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।

आज उन बाँहों का दबाव अपनी छाती पर महसूस करता हूं लेखक ने यह इसलिए कहा होगा कि उनको आज भी फादर बुल्के की याद आती है और कमी महसूस होती है। फादर बुल्के की बातें, उनकी जीवन शैली, निर्लिप्त भाव, शांत स्वभाव एक प्रेरणा बनकर लेखक के सामने होता है। 

  • 2
What are you looking for?