Aashay spasht kare:
Haath pakad phir sada hamare
Sath nahi phirti din-raat
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प्रस्तुत पंक्तियों से कवि का आशय है कि
जब हम बड़े हो जाते हैं तब बचपन की तरह
वह सदा हमारे साथ साथ नहीं रहती है? जिस प्रकार बचपन में
माँ अपने बच्चों को हमेशा अपने साथ-साथ रखती है। बड़े हो जाने पर वह हमेशा हमें सम्भालने के लिए हमारे साथ-साथ नहीं रहती।
जब हम बड़े हो जाते हैं तब बचपन की तरह
वह सदा हमारे साथ साथ नहीं रहती है? जिस प्रकार बचपन में
माँ अपने बच्चों को हमेशा अपने साथ-साथ रखती है। बड़े हो जाने पर वह हमेशा हमें सम्भालने के लिए हमारे साथ-साथ नहीं रहती।