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विद्युत-छवि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता 


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विद्युत छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता

कवि बादलों से कहता है कि तुम जोर से आकाश में गरजो। कवि के मन के अंदर की ऊर्जा और बादलों का गरजना कवि को एक समान लगता है। कवि कहता है कि जिस प्रकार कवि रचना करता है उसी प्रकार बादलों तुम भी एक नई रचना बनाओ। अपनी रचना से मन मोहित कर दो।

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