aatmantran mein kavi ko parmatma se kya kya apekshia nahi hain

मित्र वह भगवान से अपेक्षा नहीं रखता अपितु उन्हें मना करता है, उसके लिए कुछ करने के लिए। वह बस इतना चाहता है कि भगवान का पर उसका विश्वास बना रहे। वह न उनसे कुछ चाहता है और न स्वयं कुछ माँगता है।

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