Aatmtran kavita ke dwara kavi hame kya sandesh deta hai?
मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
आत्मत्राण का अर्थ है अपने भय से मुक्त होना। इस कविता में कवि ने भगवान से प्रार्थना की है कि हे प्रभु मैं आपसे यह प्रार्थना नहीं करूंगा कि आप मुझे दुख ना दो। मैं आप से यह प्रार्थना करूंगा कि आप मुझे दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें। मेरे अंदर निर्भय रहने के गुण पैदा करें। कष्टों को कम करने के लिए मैं प्रार्थना नहीं करूंगा किंतु उन कष्टों को सहने के लिए मैं आपसे शक्ति मांगता हूं। अपने मन के भय से मुक्त होना ही आत्मत्राण कविता का प्रतिपाद्य है। आत्मत्राण कविता द्वारा कवि यही संदेश देते हैं।
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आत्मत्राण का अर्थ है अपने भय से मुक्त होना। इस कविता में कवि ने भगवान से प्रार्थना की है कि हे प्रभु मैं आपसे यह प्रार्थना नहीं करूंगा कि आप मुझे दुख ना दो। मैं आप से यह प्रार्थना करूंगा कि आप मुझे दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें। मेरे अंदर निर्भय रहने के गुण पैदा करें। कष्टों को कम करने के लिए मैं प्रार्थना नहीं करूंगा किंतु उन कष्टों को सहने के लिए मैं आपसे शक्ति मांगता हूं। अपने मन के भय से मुक्त होना ही आत्मत्राण कविता का प्रतिपाद्य है। आत्मत्राण कविता द्वारा कवि यही संदेश देते हैं।