aatmtran kavita par tulnatmak tippani karte hue betaiye ki ye kavita baki prathna geeton se bhinn kyun hai?

मित्र यह प्रार्थना अन्य प्रार्थना गीतों से भिन्न है क्योंकि अन्य प्रार्थना गीतों में दास्य भावआत्म समर्पणसमस्त दुखों को दूर करके सुखशांति की प्रार्थनाकल्याणमानवता का विकासईश्वर सभी कार्य पूरे करें ऐसी प्रार्थनाएँ होती हैं परन्तु इस कविता में कष्टों से छुटकारा नहीं कष्टों को सहने की शक्ति के लिए प्रार्थना की गई है। यहाँ ईश्वर में आस्था बनी रहे,कर्मशील बने रहने की प्रार्थना की गई है।

  • 1
What are you looking for?