Ab kaha doosro ke dukh main dukhi hone wale paat ke adhar par lekhak ki mataji ke svabhaav par tipani.
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
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लेखक की माँ बहुत संवेदनशील और धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। उन्हें किसी को दुखी करना अच्छा नहीं लगता था। उनका ईश्वर पर अटूट विश्वास था। दूसरों के दुख में दुखी हो जाती थीं। अपनी गलतियों को मानती थी तथा उनका प्राश्चयित सच्चे हृदय से करती थी। उनका हृदय निर्मल तथा पवित्र था।