agar aap nabab sahab ki jaghe hote toh kya aap bhi unki hi tarah lekhak ke saath vavhr karte . explain

मित्र यह प्रश्न आप से पूछा गया है। इस प्रश्न का उत्तर आपको अपनी समझ से देना चाहिए। वैसे यदि मैं होती, तो मैं नवाब साहब की तरह नहीं करती। नवाब साहब ने लेखक के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया था। परन्तु उनके व्यवहार में अहंकार और बनावटीपन था। मैं स्वयं को इस प्रकार के अगुणों से दूर रखती और खीरों को फेंकने के स्थान पर खाना अधिक श्रेय समझती।

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