Ahh rahi Ravi khi savari poem std IX explain
आप जिस कविता की बात कर रहे हैं, वह सी.बी.एस.ई के पाठ्यक्रम में नहीं है परन्तु फिर भी मैं आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करती हूँ।
इस कविता के दो अर्थ निकलते हैं पहला अर्थ यह है कि सूरज अपनी पहली किरण के साथ उदय होता है। उसके आने से प्रसन्न होकर फूल खिल जाते हैं। बादलों पर सूरज की किरणें पड़ने से वे सोने के रंग के समान सुनहरे लग रहे हैं। सुबह होने से विभिन्न तरह के पक्षी चहचहाने लगते हैं, ऐसा लग रहा है कि वह सूरज का यश-गायन कर रहें हों। सूरज निकलने से तारे दिखाई नहीं दे रहे लगता है मानो सूरज को आता देखकर भाग गए हों। सूरज को आता देखकर रात रूपी राजा भी डर के मारे रास्ते में भिखारी के समान कोने पर दुबकर खड़ा है।इस कविता का दूसरा अर्थ यह भी हो सकता है, भारत आज़ाद हो गया है। गुलामी के दिन समाप्त हो गए हैं। लोग इस आजादी की खुशियाँ मना रहे हैं। सारा भारत प्रसन्नता से फूला नहीं समा रहा है। ऐसा लगता खुशियों फैल गई हो। रात रूपी अंग्रेजों की सरकार समाप्त हो गई है और वह आजाद भारत में जहाँ कभी राजा की भांति था भिखारी के समान हो गया है।