an article on khaan paan ki badalti tasveer
आज हमारे आस-पास खानपान की मिश्रित संस्कृति विकसित होती जा रही है। आज भारतीय रसोई में फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र या राज्य की क्यों न हो, अपने गाँव और संस्कृति की नहीं अपितु पूरे भारत के खानपान की खुशबू आती है। वह आज एक स्थान, जाति और धर्म न बनकर पूरे भारत का परिचय कराती है। यह अनेकता में एकता का बोध कराती है। समय की मांग ने खानपान की तसवीर बदलकर रख दी है। आज लोगों के पास समय का नितान्त अभाव है। इसी अभाव के कारण जल्दी पकने वाले भोजन हमारी रसोई का हिस्सा बनते जा रहे हैं। पहले घरों में महिलाएँ घंटों मेहनत करके भोजन बनाया करती थी। लेकिन आज महिलाएँ भी कामकाजी हो गई हैं। समाज में हो रहे इस परिवर्तन ने खानपान में बदलाव किया है।